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इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने अपनी बैठक में एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ओआईसी के महासचिव हिसेन इब्राहिम ताहा के साथ एक बैठक में कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा की है। अपनी चर्चा के दौरान दोनों ने कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय और अधिकार प्राप्ति के उनके संघर्ष में उनका समर्थन जारी रखने की बात कही है।
ओआईसी की 17वीं विशेष बैठक पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में रविवार को आयोजित की गई थी। पाकिस्तान और सऊदी अरब द्वारा आयोजित इस बैठक में ओआईसी के कुल 57 सदस्य देशों में से 20 देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया। 10 उप मंत्रियों ने ओआईसी में अपने-अपने देशों का प्रतिनिधित्व किया।
ओआईसी की तरफ से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया कि दोनों पक्षों ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे के घटनाक्रम और कश्मीरी लोगों को उनके वैध अधिकार प्राप्त करने के संघर्ष में समर्थन देने के ओआईसी के प्रयासों पर चर्चा की। साथ ही उनके आत्मनिर्णय के अधिकार पर भी बात की, जो कि इस्लामी शिखर सम्मेलनों और सीएफएम बैठकों के सभी प्रस्तावों में निहित है, साथ ही संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों में भी शामिल है।
इमरान खान और ओआईसी महासचिव ने अफगानिस्तान की स्थिति और अफगान लोगों को सहायता देने के प्रयासों पर भी बात की। अफगानिस्तान में सुरक्षा और स्थिरता के लिए तत्काल सहायता प्रदान करने के महत्व पर भी दोनों के बीच बातचीत हुई।
इस्लामोफोबिया को लेकर भी दोनों ने बीच वार्ता हुई। प्रेस रिलीज में बताया गया कि दोनों पक्षों ने विश्व में बढ़ते इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए ओआईसी और पाकिस्तान के प्रयासों की समीक्षा की।
ओआईसी में कश्मीर का मुद्दा अक्सर उछाला जाता है। पिछले महीने भी जब ओआईसी के विशेष दूत युसेफ एल्डोबे पाकिस्तान गए थे तब उन्होंने कश्मीर का मुद्दा उठाया था। पाकिस्तान में ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात में उन्होंने कहा था कि ओआईसी कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करना जारी रखेगा।
एल्डोबे ने यह भी कहा था कि वो ओआईसी की अगली मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान कश्मीर की स्थिति पर एक रिपोर्ट पेश करेंगे। पिछले साल भी ओआईसी के प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर का जिक्र किया गया था जिसे भारत ने अनुचित करार दिया था। भारत ने सख्त लहजे में कहा था कि ओआईसी देश के आंतरिक मामलों में दखल न दे।
भारत ने कहा था कि हम कश्मीर के मसले को सिरे से खारिज करते हैं। मीटिंग में रखे गए तथ्य गलत, भ्रामक और अनुचित थे। हमने हमेशा से ये उम्मीद की है कि ओआईसी का भारत के आंतरिक मामलों पर कोई स्टैंड न हो। इसमें कश्मीर का मसला भी शामिल है जो कि भारत का अभिन्न हिस्सा है।
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