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दुनिया को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली कोरोना महामारी को फैले अब करीब दो साल होने जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इसका अंत सुनिश्चित नहीं हो सका है। दुनियाभर के साइंटिस्ट इस वायरस की दवा खोजने में लगे हैं, लेकिन अभी तक इम्यूनिटी बढ़ाने वाली वैक्सीन से ज्यादा कुछ हाथ नहीं लग सका है। आज जब इस महामारी का अंत नहीं दिखाई दे रहा है, तो अब वैज्ञानिकों ने भी दूसरी पीढ़ी (Second Generation) के वैक्सीन निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर लिया है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की चीफ साइंटिस्ट डॉ सौम्या विश्वनाथन (Dr Soumya Swaminathan) का कहना है कि अब नेजल स्प्रे (Nasal Spray)और ओरल वर्जन (Oral Version) वाली वैक्सीन, मतलब नाक और मुंह से दी जाने वाली के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है। डॉ. सौम्या का कहना है, ‘इस तरह की वैक्सीन का ये फायदा होगा कि इसको लेने के लिए आपको लंबे प्रोसेस से नहीं गुजरना होगा। इसे खुद इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आपको वैक्सीन लेने जैसा लंबा प्रोसेस भी नहीं करना होगा और ना ही इससे आपको इंजेक्शन वाला दर्द होगा।’
डॉ सौम्या (Dr Soumya Swaminathan) ने आगे बताया कि ये नई पीढ़ी की वैक्सीन जब बाजार में उपलब्ध होंगी तो कई तरह की अड़चनें खत्म हो जाएंगी। अभी दूसरी पीढ़ी के 129 टीकों का क्लीनिकल ट्रायल लोगों पर चल रहा है। वहीं 194 टीकों का अभी लैबोरेटरी में परीक्षण चल रहा है।
डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (Dr Soumya Swaminathan) का कहना है कि इन्फलुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine) नाक से दी जाती है। ऐसे में कोरोना की वैक्सीन जब नाक से दी जाएगी, तो सबसे पहले नाक में एंटीबॉडीज (Antibodies) बनेंगी। इससे वायरस का सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। नतीजा यह होगा कि वायरस नेजल वैक्सीन लेने वालों के फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाएगा और न ही कोई बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकेगा। ऐसे में इस तरह की वैक्सीन ज्यादा इफैक्टिव हो सकती है।
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