Allahabad HC ने ऐसा फैसला दिया है जो सबके लिए नजीर बनने जा रहा है जिसके तहत अब CBSE स्टूडेंट्स अपना नाम बदल सकेंगे। इलाहाबाद हाई कोर्ट की आई यह टिप्पणी आगे के लिए नजीर साबित होगी। सीबीएसई के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने नाम बदलने को संवैधानिक अधिकार माना।

कबीर जायसवाल नाम के शख्स ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल की थी। दरअसल कबीर का नाम रिशु जायसवाल था। रिशु जायसवाल के नाम से उन्होंने CBSE (सेंट्र्ल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन) की 2011-13 में सेकेंडरी स्कूल एग्जामिनेशन (10वीं) और 2015 में सीनियर स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (12वीं) परीक्षा पास की थी। सीबीएसई की दोनों परीक्षा के सर्टिफिकेट में उनका नाम रिशु जायसवाल S/O, संतोष कुमार जायसवाल दर्ज था।

परीक्षा पास करने के बाद उनके मन में नाम बदलने का विचार आया। इसके बाद गजट ऑफ इंडिया में उन्होंने अपना नाम रिशु जायसवाल से बदलकर कबीर जायसवाल करने का नोटिफिकेशन जारी करवाया। इसके बाद उन्होंने संबंधित स्कूल के जरिए सीबीएसई के सर्टिफिकेट में अपना नाम बदलकर कबीर जायसवाल करने का ऐप्लिकेशन दिया। इसमें कबीर ने कहा कि गजट नोटिफिकेशन के तहत उनका नाम आधार कार्ड और पैन कार्ड में भी बदल गया है। उनके ऐप्लिकेशन को स्कूल ने सीबीएसई के पास भेज दिया। बोर्ड ने 27 मई 2020 को कबीर की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि स्कूल के रेकॉर्ड्स में उनका नाम रिशु दर्ज है, लिहाजा नाम बदला नहीं जाएगा।

सीबीएसई के इस ऑर्डर को कबीर ने रिट के जरिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी। इस पर हाई कोर्ट के जस्टिस पंकज भाटिया ने टिप्पणी की, 'संविधान के आर्टिकल 19(1)(A) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई है। लिहाजा अपना नाम बदलने की अभिव्यक्ति की उनकी इस आजादी को खारिज नहीं किया जा सकता। वह अपना नाम बदलने के हकदार हैं।'

यानी अदालत ने अपनी टिप्पणी के जरिए साफ कर दिया कि नाम बदलना अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा है। अगर कोई अपना नाम बदलना चाहता है तो उस पर किसी तरह की रोक लगाना संविधान के खिलाफ होगा। बताते चलें कि जस्टिस पंकज भाटिया ने यह फैसला 2 दिसंबर 2020 को सुनाया, जो 18 दिसंबर को मीडिया में सामने आया।