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नई दिल्ली। अब आने वाले समय में कोई भी इंसान नहीं मरेगा क्योंकि वैज्ञानिकों ने एक ऐसा फॉर्मूला खोज निकाला है जिसके तहत बूढ़े व्यक्ति को जवान बनाया जा सकता है. इसी के साथ अब इंसानों के लिए अमर होने का सपना पूरा हो जाएगा. दरअसल, इंटरनेशनल नॉनप्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन- ह्यूमेनिटी प्लस के साइंटिस्ट डॉक्टर जोस कॉर्डिरो ने ये दावा किया है कि कुछ ही सालों में हमारे पास अमरता का सीक्रेट खुल चुका होगा. उनके अनुसार साल 2030 में जीवित लोग साल-दर-साल अपनी उम्र बढ़ा सकेंगे, और 2045 के बाद वैज्ञानिक जमात लोगों को अमर बनाना शुरू कर देगी.
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दोगुनी से ज्यादा हो चुकी औसत उम्र
हालांकि, फिलहाल वैज्ञानिकों ने खुलकर कुछ नहीं बताया, लेकिन इसमें रोबोटिक्स और एआई की मदद ली जा सकती है. इसकी मदद से लोगों की उम्र बढ़ती चली जाएगी और फिर एक समय ऐसा आएगा, जब इंसान सदियों तक जीवित रह सकेगा. डॉक्टर कॉर्डिरो इस बात को लेकर कहा कि पहले औसत उम्र कम हुआ करती थी, लेकिन अब बढ़ चुकी है. जैसे साल 1881 के आसपास भारत में औसत आयु सिर्फ 25.4 साल थी. वहीं, 2019 में ये बढ़कर 69.7 साल हो गई. इसी फॉर्मूला पर डीएनए की एजिंग को रिवर्स एजिंग में बदल दिया जाएगा.
रिवर्स एजिंग में मिली सफलता
डॉक्टर कॉर्डिरो के मुताबिक हार्वर्ड और बोस्टन की लैब में हुआ वो शोध ही वो तर्क है जिसमें बूढ़े चूहों की उम्र पलटकर उन्हें युवा बना दिया गया था. इतना ही नहीं बल्कि उम्र के कारण उनकी कमजोर पड़ी नजर भी ठीक हो गई. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल और बोस्टन यूनिवर्सिटी के इस जॉइंट शोध को वैज्ञानिक पत्रिका सेल में जगह मिली. इसको लेकर शोधकर्ता डेविड सिनक्लेअर ने कहा है कि उम्र रिवर्सिबल प्रोसेस है, जिसके साथ छेड़छाड़ की जा सकती है.
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बना सकेंगे बूढ़े को युवा और युवा को बूढ़ा
आपको बता दें कि वैज्ञानिक जर्नल सेल में प्रकाशित इस शोध का नाम लॉस ऑफ एपिजेनेटिक इंफॉर्मेशन एज कॉज ऑफ मैमेलियन एजिंग है. चूहों पर लैब में किए गए इस प्रयोग में साफ दिखा कि उम्र को पीछे लौटाकर उसे युवा बनाया जा सकता है. इसमें एक चौंकाने वाली बात ये भी सामने आई कि उम्र न केवल पीछे लौटती है, बल्कि उसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. यानी समय से पहले किसी को बड़ा या बूढ़ा कर देना.
डीएनए निभाता है सारी भूमिका
यह शोध इस कंसेप्ट पर शुरू हुआ कि शरीर के पास अपनी युवावस्था की बैकअप कॉपी रहती है. इस कॉपी को दबाया जाए तो सेल्स रीजेनरेट होने लगेंगी और उम्र पीछे लौटने लगती है. इस प्रयोग के ये यकीन भी गलत साबित हुआ कि उम्र बढ़ना जेनेटिक म्यूटेशन का नतीजा है, जिससे क्छ। कमजोर पड़ते जाते हैं. या फिर कमजोर पड़ चुकी कोशिकाएं शरीर को भी समय के साथ कमजोर बना देती हैं.
शरीर को डीप फ्रीज करवा रहे लोग
अब दुनिया के कई देशों में कई खरबपति लोग इस रिवर्ज एज के जरिए अमरता पाने के लिए भारी पैसा लगा रहे हैं. यहां तक कि लैब्स में अपने शरीर को प्रिजर्व भी कराया जा रहा है ताकि अमरता का फॉर्मूला मिलने के बाद मरे हुए लोग दोबारा जिंदा हो सकें. इसको क्रायोनिक्स कहा जाता है. अलग-अलग जगहों पर दावा मिलता है कि दुनिया में लगभग 6 सौ लोगों की डेड बॉडी फ्रीज होकर रखी हुई है.
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