भारत और चीन के बीच पिछले साल से चले आ रहे सीमा विवाद के बीच दोनों पक्षों ने पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे से टैंकों और इन्फैंट्री युद्धक वाहनों को वापस लाना शुरू कर दिया है। यह जानकारी बुधवार को इस डिसइंगेजमेंट योजना के संबंधित अधिकारियों ने दी। इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से इस बात का एलान करने के बाद कि बीजिंग ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया है, लेकिन इन अहम रणनीतिक चोटियों पर सैनिक अभी भी मौजूद हैं। 

पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के कई बिंदुओं में से एक से बख्तरबंद वाहनों और उपकरणों की वापसी की खबर दोनों देशों के बीच हुई पिछली कमांडर स्तरीय वार्ता के करीब 15 दिन बाद आई है। दोनों पक्षों ने सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर 24 जनवरी को बैठक कर चर्चा की थी। उधर, चीन के सरकारी मीडिया के अनुसार रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वु कियान ने बुधवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर पर तैनात भारत और चीन के अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने बुधवार से व्यवस्थित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया।

कियान ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में पैंगोग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर तैनात भारत और चीन के अग्रिम पंक्ति के सैनिकों ने बुधवार से व्यवस्थित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया। उनके इस बयान से संबंधित खबर चीन के आधिकारिक मीडिया ने साझा की है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता में बनी सहमति के अनुरूप दोनों देशों के सशस्त्र बलों की अग्रिम पंक्ति की इकाइयों ने 10 फरवरी से पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से व्यवस्थित तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया।

दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई से गतिरोध चला आ रहा है। दोनों देश कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ता कर चुके हैं। दोनों देशों की सेनाओं के बीच 24 जनवरी को मोल्डो-चुशूल सीमा स्थल पर चीन की ओर कोर कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता हुई थी। बता दें कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेख (एलएसी) पर पिछले साल अप्रैल से सैन्य गतिरोध चला आ रहा है। यह गतिरोध 15 जून को गलवां घाटी में दोनों देशों के जवानों की भिड़ंत में एक कर्नल समेत 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद बेहद बढ़ गया था।

इस झड़प में चीन के भी करीब 35 जवान व अधिकारी मारे गए थे। इसके बाद चीन ने एलएसी पर 50 हजार सैनिकों और आर्टिलरी का जमावड़ा कर दिया था, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने भी 50 हजार जवानों के साथ टैंक व अन्य भारी हथियार तैनात कर दिए थे। इस गतिरोध को हल करने के लिए दोनों पक्ष सैन्य व राजनयिक स्तर पर कई दौर की वार्ता कर चुके हैं, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकल पाया था। मोल्दो-चुशूल सीमा पर 24 जनवरी को भारत-चीन के सैन्य कमांडर स्तरीय बैठक के 9वें दौर का आयोजन किया गया था। इस बैठक में दोनों पक्षों ने सैन्य गतिरोध का हल तलाशने के लिए पूर्वी लद्दाख में अग्रिम सैन्य टुकड़ियों को जल्द से जल्द पीछे हटाने पर सहमति जताई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने चीन की तरफ से किए गए दावे की कोई पुष्टि नहीं की, लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय ने ट्वीट के जरिये बृहस्पतिवार को संसद में स्थिति स्पष्ट किए जाने की बात कही। ट्वीट में कहा गया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूर्वी लद्दाख में मौजूदा हालात पर कल (बृहस्पतिवार को) राज्यसभा में बयान देंगे। सेनाओं के पीछे हटने के दावे की पुष्टि करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को कहा, सितंबर में मास्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक और दोनों पक्षों के बीच कमांडर स्तर की 9वें दौर की वार्ता में बनी सहमति के मुताबिक पैंगोंग लेक पर पीछे हटना शुरू किया गया है।

वेनबिन ने कहा, हमें आशा है कि भारतीय पक्ष शेष आधा रास्ता तय करने के लिए चीन के साथ काम करेगा। साथ ही इसके लिए दोनों पक्षों के बीच बनी सहमति को सख्ती से लागू करेगा व पीछे हटने की प्रक्रिया के सुचारू कार्यान्वन को सुनिश्चित करेगा। भारत टकराव वाले सभी मोर्चों पर पीछे हटने की प्रक्रिया एकसाथ शुरू करने का पक्षधर है। यह बात चीन के साथ गतिरोध हल करने के लिए सभी वार्ताओं में स्पष्ट तौर पर कही भी गई है और इससे इतर कोई भी विकल्प स्वीकार करने से इनकार किया जाता रहा है।

खासतौर पर भारत चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर 4 से फिंगर 8 तक से हटाए जाने की मांग करता रहा है। इसके उलट चीनी पक्ष झील के दक्षिणी किनारे पर सामरिक महत्व वाली कई चोटियों से भारतीय जवानों को हटाने की मांग पर अड़ा रहा है। भारतीय सेना ने करीब पांच महीने पहले चीनी सेना की तरफ से घुसपैठ के प्रयास को विफल करते हुए झील के दक्षिणी किनारे पर मुखपारी, रेचेन ला और मग्गर हिल जैसी कई सामरिक महत्व वाली चोटियां कब्जा ली थीं।