एकबार फिर से दुनिया को सावधान हो जाने की जरूरत है क्योंकि कोरोना वायरस का एक रूप दूसरे को सत्‍ता सौंपने जा रहा है। यूनाइटेड किंगडम के केंट से आए कोविड-19 के इस नए रूप से एक्‍सपर्ट्स भी हैरान हैं। यूके के जेनेटिक सर्विलांस प्रोग्राम की हेड शैरान पीकॉक ने बीबीसी को बताया है कि वायरस का केंट वैरियंट 'पूरी दुनिया में छा जाएगा, इसकी पूरी संभावना है।' दूसरी तरफ, दक्षिण अफ्रीका में वायरस का एक और रूप वैक्‍सीनों और नैचरल इम्‍युनिटी को मात देते हुए कहर बरपा रहा है। कोविड वायरस के तीसरे रूप ने ब्राजील में फिर से केसे बढ़ाने शुरू कर दिए हैं जबकि माना जा रहा था कि ब्राजील पिछले साल गर्मियों में ही हर्ड इम्‍युनिटी हासिल कर चुका था। आइए आपको बताते हैं कि वायरस के इन नए रूपों के बारे में हम क्‍या जानते हैं। 2019 में पहली बार सामने आया कोविड-19 वायरस कई रूप बदल चुका है। फिलहाल D614G वैरियंट दुनियाभर में कहर बरपा रहा है।

म्‍यूटेशन:
किसी वायरस के जेनेटिक सीक्‍वेंस में बदलाव को म्‍यूटेशन कहते हैं। ये बेहद आम हैं। कोरोना वायरस के स्‍पाइक प्रोटीन में ही कम से कम 4,000 म्‍यूटेशंस रिकॉर्ड हुए हैं। म्‍यूटेशंस तब होते हैं तब वायरस किसी मरीज के भीतर अपनी कॉपी बनाते हैं।

वैरियंट:
वैरियंट वो वायरस है जिसका जेनेटिक सीक्‍वेंस अपने मूल वायरस से अलग होता है।

स्‍ट्रेन:
वो वैरियंट जिसमें काफी सारे म्‍यूटेशंस होते हैं और इसकी वजह से उसका व्‍यवहार बदल जाता है।
इस वैरियंट को पिछले साल सितंबर में इंग्‍लैंड के केंट में डिटेक्‍ट किया गया था। इसमें 17 म्‍यूटेशंस हुए और इस वजह से इसे शुरू से ही बड़ा खतरा माना जा रहा था। नवंबर 2020 के बाद से यह जंगल में आग की तरह फैलना शुरू हुआ और अब यह दुनिया में सबसे कॉमन वैरियंट बनने की ओर है। य‍ह वैरियंट सुपर स्‍प्रेडर है और जो म्‍यूटेशन इसके लिए जिम्‍मेदार है, वह दो और वैरियंट्स में मिला है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि म्‍यूटेशन की वजह से यह पिछले D614G वैरियंट से 50% ज्‍यादा संक्रामक हो गया है। केंट वैरियंट को अबतक दुनिया के कम से कम 50 देशों में पाया जा चुका है।

यह मरीजों में मौत की संभावना को 30 प्रतिशत बढ़ा देता है। मतलब अगर पिछले वायरस ने 50 से ज्‍यादा उम्र के 1,000 मरीजों में से 10 की जान ली थी, तो ये वाला 13 को मार सकता है। अबतक इसके खिलाफ वैक्‍सीन कारगर रह थी मगर इस महीने इसका एक और म्‍यूटेशन E484K मिला है। ये वही म्‍यूटेशन है जो साउथ अफ्रीका वाले वैरियंट में इम्‍युनिटी को भी धता बता देता है।

यह वैरियंट पिछले साल अक्‍टूबर में सामने आया। इसके स्‍पाइक प्रोटीन में ही 10 से ज्‍यादा म्‍यूटेशंस हुए हैं। आज की तारीख में दक्षिण अफ्रीका में होने वाले 80% इन्‍फेक्‍शंस इसी की देन हैं और यह कम से कम 32 देशों में फैल चुके हैं। यह केंट वैरियंट जितना ही संक्रामक है मगर इसमें एक E484K म्‍यूटेशन भी है तो इसे बेहद खतरनाक बनाता है। इस म्‍यूटेशन की वजह से ये वायरस पिछले इन्‍फेक्‍शन से हुई इम्‍युनिटी को बेकार कर देता है और वैक्‍सीन के असर को भी कम कर देता है।

ब्राजील में दो वैरियंट जिन्‍हें P1 और P2 कहा जा रहा है, जांच के दायरे में हैं। इनमें से P1 जो कि B.1.1.248 भी है, टेंशन दे रहा है। इसे पिछले साल दिसंबर में डिटेक्‍ट किया गया था और इसमें 3 म्‍यूटेशंस हुए हैं जिसमें E484K भी शामिल है।
वैक्‍सीन या इलाज असरदार होगा?

अभी तक किसी भी वैक्‍सीन को पूरी तरह बेअसर नहीं पाया गया है। असर भले ही कम हो, लेकिन वैक्‍सीन की वजह से गंभीर बीमारियों और मौतों को रोकने में मदद मिलती है। वर्तमान टीके कुछ समय के लिए प्रभावी रहेंगे क्‍योंकि वह वायरस के एक से ज्‍यादा हिस्‍सों को टारगेट करने के लिए बने हैं। वैक्‍सीनों को म्‍यूटेशंस को ध्‍यान में रखते हुए बनाया गया है। हालांकि वैक्‍सीन की एफेकसी कम होने से उनसे मिलने वाली इम्‍युनिटी का दायरा कम हो सकता है। कोविड ट्रीटमेंट की बात करें तो नए वैरियंट्स के खिलाफ केवल मोनोक्‍लोनल ऐंटीबॉडीज के ही बेअसर रहने का अनुमान है।