नेपाल सरकार ने चीन के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए पैनल का गठन किया है। हाल ही में हुए सीमा विवाद में चीन ने कथित तौर पर नेपाल के हुमला जिले में कुछ भूमि पर अतिक्रमण किया है जिसे पहले पूर्व केपी शर्मा ओली सरकार ने खारिज कर दिया था। नेपाल सरकार ने सीमा की जांच के लिए गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है। चीन के साथ विवाद जो उसके उत्तरी क्षेत्र की स्थिति की सटीक तस्वीरें देगा।

कानून और संसदीय मामलों के मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने कहा कि विभिन्न सरकारी एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी और सीमा विशेषज्ञ उस दल के सदस्य होंगे जो विवादित क्षेत्र का दौरा करेगा और सरकार को रिपोर्ट करेगा। नेपाली कांग्रेस के प्रांतीय विधायक जीवन बहादुर शाई ने पिछले साल रिपोर्ट दी थी कि चीन ने हुमला जिले में जमीन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है।


बता दें कि हमला तिब्बत के साथ एक लंबी सीमा साझा करता है। मानसरोवर जाने वाले भारतीय नागरिकों को हुमला जिले से होकर जाना पड़ता है। शाई, जो प्रांतीय विधानसभा के निर्वाचित सदस्य थे, ने सबसे पहले चीनी भूमि अतिक्रमण के बारे में आवाज उठाई। लेकिन विदेश मंत्रालय ने आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि नेपाल और चीन के बीच कोई सीमा विवाद नहीं है और दोनों पक्ष इस संबंध में निकट संपर्क में हैं।


विदेश मंत्रालय ने पिछले साल सितंबर में एक बयान में कहा था कि दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित सीमा संधि और सीमा प्रोटोकॉल के आधार पर नेपाल और चीन के बीच की सीमा को सीमांकित और सीमांकित किया गया था। इसमें कहा गया है कि नेपाल और चीन ने सीमा मामलों पर हमेशा करीबी संवाद बनाए रखा है।