
असम में कड़ी सुरक्षा के बीच एनआरसी की लिस्ट जारी की गई है। 3,11,21,004 लोगों को NRC लिस्ट में शामिल किया गया है, जबकि 19,06,657 लोगों को इसमें जगह नहीं दी गई है। आपको बता दें कि इसमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने कोई दावा नहीं किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि जो लोग इससे सहमत नहीं हैं वे ट्रिब्यूनल में अपील कर सकते हैं। इसके बाद से ही इसे लेकर कई नेताओं ने नाराजगी जाहिर करनी शुरू कर दी।
बीजेपी नेता और असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन की सूची को "दोषपूर्ण" बताया और कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा राज्य के कुछ हिस्सों में सूची के पुनर्मूल्यांकन के लिए फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। उधर, जनता दल यूनाइटेड ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है।

जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने ट्वीट किया है कि NRC की फाइनल लिस्ट ने लाखों लोगों को उनके अपने ही देश में विदेशी बना दिया।
A botched up NRC leaves lakhs of people as foreigners in their own country!
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) September 1, 2019
Such is the price people pay when political posturing & rhetoric is misunderstood as solution for complex issues related to national security without paying attention to strategic & systemic challenges.
उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने NRC की फाइनल लिस्ट को एक 'विफलता' बताया और कहा कि इसने उन सभी को उजागर कर दिया है जो इसे लेकर 'राजनीतिक फायदा' हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'एनआरसी की विफलता ने उन सभी लोगों को उजागर कर दिया है जो इससे राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास कर रहे हैं. उन्हें देश को बहुत जवाब देने है.' मुख्यमंत्री ने कहा, 'ऐसा तब होता है जब कोई कार्य समाज की भलाई और देश के व्यापक हित के बजाय गलत उद्देश्य के लिए किया जाये.'
In fact, names of thousands and thousands of genuine Indians, including those of CRPF and other jawans, family members of former President Fakhruddin Ali Ahmed, have been excluded. (2/3)
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) September 1, 2019
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