शनिवार को छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले में हमारे में 22 जवान मारे गए। अब प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि उसकी लड़ाई पुलिस या सुरक्षा बलों के खिलाफ नहीं है। 

हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जिला बीजापुर का दौरा किया था  और कहा था कि  जवानों बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। अमित शाह ने माओवादियों के खिलाफ कड़ा रूख अपनाते हुए तीखी टिप्पणियां की।

सोमवार को छत्तीसगढ़ का दौरा करने वाले शाह ने कहा कि 22 के बलिदान को चरमपंथियों के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई को "निर्णायक मोड़" पर ले जाने के लिए याद किया जाएगा।  माओवादियों ने संभवतः बीजापुर-सुकमा सीमा के पास एक इलाके में ले जाने के बाद सेना पर घात लगाकर हमला किया। उस दौरान सीआरपीएफ के जवान एक वन क्षेत्र में तलाशी अभियान पर निकले थे।

माओवादी के प्रवक्ता अभय ने सोमवार को बयान में कहा, “अमित शाह किससे बदला लेंगे? "विद्रोही लोग और माओवादी एक ही  हैं और दिन-प्रतिदिन उत्पीड़ित लोग पूंजीवादी और ब्राह्मणवादी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।"

“हम मानते हैं कि सेना में भर्ती होने वाले लोग भी शोषित लोगों का हिस्सा हैं और जब वे हमसे लड़ने के लिए हथियार लेकर आते हैं तो लड़ना हमारी मजबूरी है। हम मृतक के परिवारों के साथ सहानुभूति रखते हैं और CPI (माओवादी) लोगों से अपील करती है कि वे अपने बच्चों को सुरक्षा बलों में शामिल होने के लिए न भेजें। ”

बयान में दावा किया गया कि देश भर में पिछले चार महीनों में 28 माओवादी मारे गए हैं और वे एक ही समय के दौरान "लगभग 100 पुलिसकर्मियों को मारने या घायल करने में सक्षम" रहे हैं। 

माओवादियों ने सितंबर में पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध में 26 अप्रैल को देशव्यापी बंद का आह्वान किया है।