
चंद्रमा हमारे मन का प्रतीक है । मन का अपना ही उतार चढाव लगा रहता है । प्राय: हम अपने मन से ही उलझते रहते हैं-सभी नकारात्मक विचार हमारे मन में आते हैं ईष्यों आती है, घृणा आती है और आप उसे छुटकारा पाने के लिए और अपने मन को साफ करने के लिए संघर्ष करते हैं । मैं कहता हूं कि ऐसा नहीं होने वाला । आप अपने मन से छुटकारा नहीं पा सकते ।
आप कहीं भी भाग जायें, चाहे हिमालय पर ही क्यों न भाग जायें, आपका मन आपके साथ ही भागेगा । यह आपकी छाया के समान है । जैसे ही हमारे मन में नकारात्मक भाव, विचार आते हैं तो हम निरुत्साहित, अशांत महसूस करते हैं । हम विभिन्न तरीकों से इनसे सुख छुड़ाने की कोशिश करते हैं पर यह मात्र कुछ समय के लिए ही काम करता है ।
कुछ समय पश्चात वही विचार फिर हमें घेर लेते हैं और वापिस यहीं पहुंच जाते है जहाँ से हमने शुरुआत करी थी । अत: इन विचारों से पीछा छुड़ाने के संधर्ष में न फंसे । चंद्र हमारी बदलती हुई भावनाओं, विचारों का प्रतीक है ( ठीक वैसे ही जैसे चंद्रमा घटता व बढ़ता रहता है) । ' घंटा ' का अर्थ है जैसे मंदिर के धण्टे-घड़ियाल (bell ) ।
आप मंदिर के घण्टे-घड़ियाल को किसी भी प्रकार बजाएं , हमेशा उसमे से एक ही ध्वनि आती है । इसी प्रकार एक अस्त-व्यस्त मन जो विभिन्न विचारों, भादों में उलझा रहता है जब एकाग्र होकर ईश्वर के प्रति समर्पित हो जाता है तब ऊपर उठती हुई दैवीय शक्ति का उदय होता है-यही चंद्रघंटा का अर्थ है ।
मां का तेज स्वर्ण समान आभा लिए होता है। इसीलिए माना जाता है है कि मां चंद्रघंटा की उपासना से भक्तों को तेज और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। मां के घंटे की ध्वनि अपने भक्तों को सभी प्रकार की प्रेतबाधाओं से दूर रखती है।
मां चंद्रघंटा की पूजाविधि
चौकी पर स्वच्छ वस्त्र पीत बिछाकर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा को स्थापित करें। इस स्थान को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। व्रत का संकल्प लेकर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां चंद्रघंटा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। मां को गंगाजल, दूध, दही, घी शहद से स्नान कराने के पश्चात वस्त्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, पुष्प, मिष्ठान और फल का अर्पण करें।
नवरात्र का तीसरा दिन भयमुक्ति और साहस की ओर ले जाता है। मां चंद्रघंटा का अष्टभुजा स्वरूप अस्त्र-शस्त्र से सजा हुआ है। मां युद्ध की मुद्रा में हैं। सिंह पर सवार मां दुष्टों का संहार करती हैं। मां तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं और ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से है।
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