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मुजफ्फरनगर. मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए साम्प्रदायिक दंगों की जड़ कहे जाने वाले कवाल कांड मामले में दोषियों के लिए सजा का ऐलान हो गया है.विशेष एमपी/एमएलए अदालत ने मंगलवार को बीजेपी विधायक विक्रम सैनी और 11 अन्य को दोषी करार देते हुए दो-दो साल की कैद और जुर्माने की सजा सुनाई. हालांकि सभी को निजी मुचलके पर रिहा भी कर दिया गया.
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विशेष एमपी/एमएलए अदालत के न्यायाधीश गोपाल उपाध्याय ने खतौली क्षेत्र से भाजपा विधायक विक्रम सैनी और 11 अन्य अभियुक्तों को भारतीय दंड विधान की धारा 336 (जीवन को खतरा पैदा करने), 353 (सरकारी काम में बाधा डालने के लिये आपराधिक हमला), 147 (दंगा करना), 148 (घातक शस्त्रों से दंगा फैलाना), 149 (गैरकानूनी रूप से भीड़ जमा करना) तथा आपराधिक विधि संशोधन अधिनियम की धारा सात के तहत दोषी करार देते हुए दो-दो साल की कैद तथा 10—10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.
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हालांकि सजा सुनाए जाने के बाद बीजेपी विधायक और अन्य दोषियों को 25-25 हजार रुपये के दो मुचलकों पर रिहा कर दिया गया. जमानत मिलने से पहले इन सभी को कई घंटों तक न्यायिक हिरासत में रखा गया था. जमानत मिलने के बाद अब वे अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकेंगे. बीजेपी विधायक विक्रम सैनी और 26 अन्य के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगों की मुख्य वजह माने जाने वाले कवाल कांड मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था.
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बता दें कि कवाल गांव में अगस्त 2013 में छेड़खानी के एक मामले में गौरव, सचिन और शाहनवाज नाम के तीन युवकों की हत्या की गयी थी. इस घटना ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया था. गौरव और सचिन का अंतिम संस्कार करके लौट रही भीड़ ने हिंसक रुख अख्तियार करते हुए कई मकानों को आग लगा दी थी. इस मामले में सैनी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गयी थी.
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कवाल कांड के बाद सितम्बर 2013 में मुजफ्फनगर और आसपास के कुछ जिलों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, जिनमें कम से कम 60 लोग मारे गये थे और 40 हजार अन्य लोगों को अपना घर-बार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा था. अब कोर्ट ने बीजेपी विधायक समेत 12 लोगों को दोषी करार दिया है, सभी को दो-दो साल जेल की सजा सुनाई गई,हालांकि सभी को जमानत मिल गई है.
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