असम के एक मुस्लिम युवक ने हिंदू महिला को ब्लड डोनेट करने के लिए पाक महीने रमज़ान के दौरान रखा जाने वाला रोज़ा तक तोड़ दिया। मामले की जानकारी मिलने के बाद लोग इस शख्स की काफी तारीफ कर रहे हैं। वहीं, सोशल मीडिया पर भी उसके काफी ज्यादा चर्चे हो रहे हैं।

सोनितपुर के ढेकियाजुली निवासी मुन्ना अंसारी रमज़ान के दौरान रोजाना सूर्योदय से सूर्यास्त रोज़ा रख रहे हैं। इसके लिए वह रोजाना इस्लाम के हर नियम का पालन भी कर रहे हैं। हालांकि, बिश्वनाथ सिविल हॉस्पिटल से आई एक कॉल के कारण उन्होंने अपना रोज़ा तोड़ दिया।

बिश्वनाथ सिविल हॉस्पिटल में एडमिट एक हिंदू महिला रेबती बोरा (85) को देखने के लिए अंसारी बिश्वनाथ गए थे। रेबती को गॉल ब्लैडर में दिक्कत की वजह से करीब 7 दिन पहले एडमिट किया गया था। उनके इलाज के लिए बी नेगेटिव ब्लड की जरूरत थी। जिले के ब्लड बैंक में महिला के ग्रुप का ब्लड नहीं था। ऐसे में रेबती के परिजन 3 दिन से डोनर को ढूंढ रहे थे।

3 दिन तक डोनर का इंतजार करने के बाद महिला के बेटे ने टीम ह्यूमैनिटी वॉलैंट्री ब्लड डोनर ग्रुप के फेसबुक पेज पर एक मैसेज डाला। अंसारी ने इसका जवाब देते हुए बताया कि उनका ब्लड ग्रुप बी नेगेटिव ही है। असम के अखबार ईस्ट मोजो के मुताबिक, रेबती के बेटे अनिल ने बताया कि पहले हमारा आपस में कोई संबंध नहीं था, लेकिन मां को खून देने की वजह से अब हम एक हो गए हैं।


करीब 3 दिन के इंतजार के बाद महिला को ब्लड डोनर मिलते ही उनके परिजन भावुक हो गए। बेटे अनिल ने रोते हुए पत्रकारों से कहा, ‘‘अंसारी ने मेरी मां को खून देकर साबित कर दिया कि सभी रिश्तों के लिए धर्म या खून के बंधन की जरूरत नहीं होती है।’’  रेबती को ब्लड डोनेट करने के बाद अंसारी ने बताया कि वह टीम ह्यूमैनिटी ब्लड डोनर्स ग्रुप के एक्टिव मेंबर हैं। वह लगातार कई साल से ब्लड डोनेट कर रहे हैं। वह अपनी पूरी जिंदगी ब्लड डोनेट करना चाहते हैं।