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मुंबई की एक अदालत (Mumbai court) ने चौंका देने वाला बयान जारी किया है, कहा है कि एक महिला को "अश्लील संदेश (obscene messages)" भेजना जिसके साथ कोई शादी के बंधन में बंध जाएगा, उसकी शील का अपमान करने के योग्य नहीं है। कोर्ट के मुताबिक, शादी से पहले इस तरह के मैसेज से यह अहसास हो सकता है कि वह उसकी भावनाओं को समझने के काफी करीब है।
अदालत (Mumbai court) ने कहा कि हालांकि, अगर वह उन्हें पसंद नहीं करती है, तो वह उन्हें अपनी नाराजगी से अवगत करा सकती है, जिसके बाद वह "गलती" को दोहराने से बचेंगे। अदालत ने यह टिप्पणी 36 वर्षीय व्यक्ति को बरी करते हुए एक महिला को धोखा देने और उससे शादी का झूठा वादा करने के बाद बलात्कार (raping) करने के आरोप में बरी कर दी। एक रिपोर्ट के मुताबिक महिला ने 2010 में पुरुष के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।'
आदमी ने 2010 में महिला से संबंध तोड़ लिए, जिसके बाद उसने शादी के झूठे वादे पर बलात्कार का मामला दर्ज कराया। अदालत (Mumbai court) ने उस व्यक्ति को यह कहते हुए बरी कर दिया कि शादी के वादे का हर उल्लंघन धोखाधड़ी या बलात्कार का मामला नहीं बन सकता।
अदालत (Mumbai court) ने कहा कि "वह मंगलसूत्र के साथ आर्य समाज हॉल गए थे, लेकिन शादी के बाद रहने के आधार पर यह झगड़ा था और उसके बाद, अपनी अनिर्णय से थककर और अपनी मां की इच्छा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और समस्या से निपटने में विफल रहने के कारण उनके सामने खड़ा था।"
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