ये सब जानते हैं साधारण बल्ब किना नाजुक होता है जो हल्दी सी चोट देने पर ही टूट जाता है। लेकिन मध्य प्रदेश ग्वालियर के रहने वाले 70 साल के एक दादा अपनी अनोखी कला के के तहत इसी बल्ब पर छेनी और हथौड़ा चलाकर उसें खास बना देते हैं। वो हथौड़ी और छेनी की मदद से बल्ब पर खूबसूरत नक्काशी बनाते हैं। उन्होंने हाल ही में कांच के बल्ब पर णमोकार मंत्र लिखकर सबको चौंका दिया। इस शख्स का नाम विमल चंद्र जैन है।

विमल के परिवार की एक दुकान थी जहां वे बर्तनों पर नाम उकेरते थे। उन्होंने बताया, ‘मैं दुकान पर बैठकर अपने चाचा को बड़े ध्यान से शब्दों को तराशते हुए देखता था। इस तरह मैंने यह कला सीखी।’

उनका कहना है कि मैंने बर्तनों पर एक/दो अक्षर लिखने के साथ शुरुआत की। मुझे इसकी आदत पड़ने में वक्त लगा। फिर मैंने मेडल्स, शील्ड्स और घड़ियों जैसी गिफ्ट की वस्तुओं पर शब्दों को उकेरना शुरू किया। यहां तक मैंने मोबाइल फोन्स के प्लास्टिक वाले हिस्से पर भी नाम लिखे हैं जिससे मेरी स्किल्स और बेहतर होती गई।

बहुत सी वस्तुओं पर शब्दों को उकेरने के बाद उन्होंने कांच पर लिखने का फैसला किया। शुरुआत में उनके लिए यह काम मुश्किल था क्योंकि उनके रेगुलर टूल्स कांच पर फिसल जाते थे।

ऐसे में उन्होंने कांच पर शब्द उकेरने के लिए जयपुर से खास टूल्स मंगवाए। काम चुनौतीपूर्ण था, पर धीरे-धीरे वो इस कला में उस्ताद हो गए। उन्होंने इस आर्ट की शुरुआत शीशे से पर लिखने से की और बाद में कांच की विभिन्न वस्तुओं पर शब्द उकेरने लगे।

कांच की विभिन्न वस्तुओं पर शब्दों को उकेरने के बाद वो इस कला को एक बल्ब पर आजमाना चाहते थे। उन्होंने बताया, ‘बल्ब का कांच बहुत नाजुक होता है। इसलिए, मैंने शुरुआत में कुछ बल्ब तोड़े। मुझे उस पर अक्षर तराशते समय बहुत सावधानी बरतनी पड़ी।’