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साल 2015 में आए विनाशकारी भूकंप से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में परिवर्तन आने की आशंका है। इस संबंध में नेपाल मंगलवार को नई घोषणा कर सकता है। विशेषज्ञों को आशंका है कि विनाशकारी भूकंप के बाद माउंट एवरेस्ट को नुकसान पहुंचा है। माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का सही माप लेने के लिए करीब एक साल तक डेटा एकत्रित किया जा रहा है।
सर्वेक्षण विभाग के उप महानिदेशक सुशील नरसिंह राजभंडारी के अनुसार एवरेस्ट की ऊंचाई की घोषणा के साथ ही कार्यक्रम में उन लोगों को भी सम्मानित किया जाएगा, जो इस पूरी प्रक्रिया में सक्रिय तौर पर शामिल रहे। गौरतलब है कि साल 2015 के भूकंप के बाद माउंट एवरेस्ट की मौजूदा ऊंचाई 8848 मीटर में बदलाव की अटकलों के बाद नेपाल ने इसे दोबारा नापने का अभियान शुरू किया था। इसमें चीन ने भी सहयोग दिया है। साल 2019 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेपाल दौरे के दौरान एक समझौता दोनों देशों के बीच हुआ जिसमें ये सहमति बनी कि दोनों देश संयुक्त रूप से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी की हाइट की घोषणा करेंगे।
इससे पहले दो बार मापी गई ऊंचाई
सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से 1954 में की गई माप के अनुसार माउंट एवरेस्ट की मान्य ऊंचाई 8,848 मीटर है। वहीं, 1975 में चीनी सर्वेक्षकों ने माउंट एवरेस्ट को मापा था और इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8,848.13 मीटर ऊपर बतायी थी। दुनिया की इस सबसे लंबी चोटी को नेपाल में सागरमाथा के नाम से जाना जाता है।
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