लंदन में एक महिला अपनी बच्ची की देखभाल के लिए ऑफिस में एक घंटा कम काम करना चाहती थी, लेकिन बॉस ने इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बाद ऐलिस थॉम्पसन को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। हालांकि, बाद में एलिस ने इस मामले को एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल में उठाया और केस जीतकर कंपनी से लगभग 2 करोड़ का मुआवजा पाया।

ऐलिस थॉम्पसन साल 2018 में गर्भवती होने से पहले सेंटर लंदन की एक कंपनी में सेल्स मैनेजर थीं। वो कंपनी के होनहार वर्कर्स में से एक थीं, जिन्होंने कंपनी की सफलता के लिए खूब मेहनत की। हालांकि, एक बच्ची को जन्म देने के बाद जब वो दोबारा काम पर लौटीं तो उन्होंने बच्ची की देखभाल के लिए बॉस (पॉल सेलर) से हफ्ते में चार दिन काम करने और दफ्तर से 6 की बजाय 5 बजे जाने जैसी रियायतें मांगीं।

दरअसल, वह बच्ची को नर्सरी (केयर टेकर के पास) छोड़कर जॉब पर आती थीं। नर्सरी शाम 5 बजे बंद हो जाती थी। लेकिन ऐलिस की छुट्टी शाम 6 बजे होती थी इसलिए उन्होंने बॉस से 1 घंटे पहले दफ्तर से जाने का अनुरोध किया। लेकिन बॉस ने यह कहते हुए उनकी गुजारिश को खारिज कर दिया कि कंपनी इस तरह की रियायत नहीं दे सकती। इसके बाद ऐलिस ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

नौकरी छोड़ने के बाद ऐलिस ने इस मामले को लंदन स्थित एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल में उठाया। ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकि बड़ी होने पर जब उनकी बेटी नौकरी करे तो उसे भी ‘वही अनुभव’ न हो, जो उन्हें हुआ है। ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की बात सुनी गई और जज ने ऐलिस के हक में फैसला सुनाया। सुनवाई में बताया गया कि ऐलिस ने अक्टूबर 2016 में शुरू की गई इस जॉब से सालाना 1 करोड़ 21 लाख कमाए। लेकिन 2018 में जब वो गर्भवती हुई तो कंपनी से उनके रिश्ते बिगड़ गए। कोर्ट ने पाया कि कंपनी काम में फ्लेक्सिबिलिटी देने के मामले में विफल रही, जिसके चलते ऐलिस को काफी नुकसान हुआ। जज ने सैलिरी और पेंशन के नुकसान के साथ-साथ भावनाओं को चोट पहुंचाने और जेंडर भेदभाव के लिए ऐलिस को लगभग 1 करोड़ 87 लाख से अधिक मुआवजा देने का फैसला सुनाया।