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भारत जापान संवाद सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पारंपरिक बौद्ध साहित्य और शास्त्रों के एक पुस्तकालय के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। प्रधान मंत्री मोदी ने भारत-जापान संवाद सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह प्रस्ताव रखा है। प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि हम भारत में इस तरह की सुविधा बनाने के लिए खुश होंगे और इसके लिए उपयुक्त संसाधन प्रदान करेंगे। प्रस्तावित पुस्तकालय के बारे में बोलते हुए प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि पुस्तकालय न केवल साहित्य का भंडार होगा, बल्कि अनुसंधान और संवाद के लिए एक मंच भी होगा।
इसी के साथ मोदी ने यह भी कहा कि शोध और संवाद के एक मंच में एक समाजों, मनुष्यों और प्रकृति के बीच सच्चा सामवेद स्थापित होगा। अनुसंधान जनादेश में यह भी शामिल होगा कि बुद्ध का संदेश समकालीन चुनौतियों के खिलाफ हमारे आधुनिक दुनिया को कैसे निर्देशित कर सकता है। मोदी ने कहा कि उज्ज्वल युवा दिमागों का पोषण आने वाले समय में मानवता के लिए मूल्य जोड़ देगा। हमारे कार्य आज आने वाले समय में प्रवचन को आकार देंगे।
यह दशक उन समाजों का होगा जो एक साथ सीखने और नवाचार करने के लिए एक प्रीमियम रखते हैं। यह उज्ज्वल युवा दिमागों के पोषण के बारे में होगा जो आने वाले समय में मानवता के लिए मूल्य जोड़ेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि हमें अपनी नीतियों के मूल में मानवतावाद को रखना चाहिए। बौद्ध पुस्तकालय के निर्माण से की कई तरह के विकास को जन्म देगा जिससे दोनों देशों के बीच संवाद समझ बढ़ेगी।
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