नयी दिल्ली। आल इंडिया माइनॉरिटीज फ्रंट (All India Minorities Front) ने केंद्र सरकार (central government) से सीएए (CAA) और एनआरसी (NRC) कानून को रद्द करने की मांग करते हुए कहा है कि अगर इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो फिर शाहीन बाग जैसे आन्दोलन को खड़ा होने का मौका मिल जाएगा। 

आल इंडिया माइनॉरिटीज फ्रंट के अध्यक्ष एस एम आसिफ ने आज यहां कहा कि केंद्र सरकार ने जिस तरह एक साल के बाद विवादित कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की है, उसी तरह देश के अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम तबके के हितों को ध्यान में रखते हुए सीएए और एनआरसी कानून भी वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए। 

उन्होंने कहा कि अगर इस बाबत केंद्र सरकार ने मुस्लिम समुदाय (Muslim community) की मांग पर गंभीरता से विचार नहीं किया तो देश में एक बार फिर शाहीन बाग (Shaheen Bagh) जैसे आन्दोलनों को खड़ा होने का मौका मिल जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली बार तो एक दिल्ली के शाहीन बाग को रोक पाने में सरकार को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था। अगर सरकार यह कानून वापस नहीं लेती तो दिल्ली के साथ ही देश के अन्य राज्यों में एक साथ कई शाहीन बाग खड़े हो जायेंगे। 

आसिफ ने कहा कि सीएए और एनआरसी कानून के खिलाफ शाहीन बाग में हुए धरने, प्रदर्शन का किसान आन्दोलन के साथ गहरा रिश्ता है। उनका इस बाबत यह भी कहना है कि शाहीन बाग के आन्दोलन से प्रेरित होकर ही कृषि कानूनों (agricultural laws) के खिलाफ आन्दोलन करने की प्रेरणा किसानों को मिली थी। यही बात अभी कुछ दिन पहले ही जमीयत उलेमा एहिन्द (Jamiat Ulema Ehind) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने भी कही थी। 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री (prime minister) जब किसानों के सम्मान का ख्याल रखते हुए विवादित कृषि कानून वापस ले सकते हैं और ऐसा करके उन्होंने वास्तव में किसान हितों का संरक्षण ही किया है। उनसे अल्पसंख्यकों को भी ऐसे ही संरक्षण की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि जब किसानों का आंदोलन शुरू हुआ तो सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई। सीएए-एनआरसी (CAA-NRC) को लेकर मुस्लिम समाज और सरकार की कोई बातचीत नहीं हुई। मुस्लिम समाज न तो इस मामले पर सरकार के पास गया और न ही सरकार समाज के आंदोलनकारियों से आकर मिली। इन परिस्थितियों में सरकार को सीएए और एनआरसी से जुड़े कानून वापस ले लेने चाहिए।