मेघालय के मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने अभी तक अपना आधार कार्ड नहीं बनवाया है। बुधवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अभी तक आधार के लिए खुद का नामांकन नहीं करवाया है क्योंकि उन्होंने ऐसा कर राइट टू प्राइवेसी पर लोगों की चिंताओं को साझा किया है।

मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने शिलॉन्ग में पत्रकारों को बताया, मैंने आधार नंबर के लिए अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। मैंने अपने लोगों के साथ यही चिंता साझा की है। लोकतंत्र में राइट टू प्राइवेसी महत्वपूर्ण है अन्यथा लोकतंत्र का संपूर्ण विचार डाइल्यूट हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, मैंने और असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने चर्चा की और भारत सरकार को लिखा है। हम दोनों सही दिशा में आगे बढऩे पर सहमत हैं और हमारा स्टैंड बरकरार है और हम दोनों एक साथ आगे बढ़ रहे हैं। मसला यह है कि हम उस स्थिति में है जो अन्य राज्यों से अलग है। अवैध माइग्रेशन व घुसपैठ के कारण जिस प्रकार की समस्या है वह मेघालय व असम व पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए कॉमन कन्सर्न है।

मेघालय के मुख्यमंत्री ने कहा, हम यह कह रहे हैं कि इसे अनिवार्य ना बनाया जाए और मेघालय व असम पर ना थोंपा जाए। राज्य के बाहर पढऩे वाले छात्रों की सुविधा के लिए मेघालय में रजिस्ट्रेशन जारी है। संगमा ने दावा किया कि आधार नंबर के लिए रजिस्ट्रेशन को लेकर बहुत कन्फ्यूजन है। हम इस मामले पर पूरी स्पष्टता चाहते हैं। बकौल संगमा, अलग अलग अथॉरिटीज अलग अलग डायरेक्शंस दे रहे हैं और अंतर मंत्रालय संवाद गायब है, सिनर्जी भी नहीं है और संवाद भी गायब है।

यूआईडीएआई के आंकड़ों के मुताबिक मेघालय में आबादी के 14 फीसदी ने  आधार नंबर के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इस मामले में हम असम से आगे है। इस साल जून में आधार रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ था। हालांकि राज्य में एक ऐसा समूह है जो लोगों से अनुरोध कर रहा है कि वे आधार अथॉरिटीज को उनसे एकत्रित की गई जानकारी को डाटाबेस से डिलीट करने की मांग करें। अभी तक करीब 260 लोगों ने राज्य में आधार नामांकन के खिलाफ अंब्रेला ऑर्गेनाइजेशन मेघालय पीपुल कमेटी ऑन आधार को व्यक्तिगत पत्र सौंप चुके हैं, इसमें मांग की गई है कि उनसे एकत्र किए गए डाटा को सिस्टम से डिली किया जाए।
मेघालय में गिव अप आधार कैंपेन भी चल रहा है। इसके तहत लोग अपने आधार कार्ड लौटा रहे हैं।