दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को कहा कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों की जांच के लिए एक पैनल बनाने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को फिर से खारिज कर दिया है। 

सिसोदिया ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि दिल्ली में अप्रैल और मई में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट का सामना करना पड़ा था और ना ही इस बात से इनकार किया जा सकता कि राष्ट्रीय राजधानी में लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई।  

उपमुख्यमंत्री ने कहा, हमने ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों की जांच को लेकर एक पैनल के गठन के लिए एक फाइल फिर से भेजी थी।  उपराज्यपाल कह रहे हैं कि इसकी कोई जरूरत नहीं है।  

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एक तरफ केंद्र राज्यों से पूछ रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से कितने लोगों की मौत हुई और दूसरी तरफ, आप हमें ऐसी मौतों की जांच नहीं करने दे रहे हैं।  सिसोदिया ने सवाल किया, ऐसे में राज्य कैसे सूचना दे पाएंगे? उन्होंने कहा, यानी केंद्र चाहता है कि हम लिखित में दें कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है।  यह बहुत बड़ा झूठ होगा। 

सिसोदिया ने दावा किया कि अप्रैल और मई में चिकित्सकीय ऑक्सीजन के कुप्रबंधन के लिए केंद्र जिम्मेदार था और यह जानबूझकर किया गया था या गलती थी, यह जांच का विषय है।  सिसोदिया ने कहा कि केंद्र को यह स्वीकार करना होगा कि वह ऑक्सीजन संकट के लिए जिम्मेदार है।  

उपमुख्यमंत्री ने पिछले हफ्ते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखा था कि जांच के बिना यह पता लगाना मुश्किल है कि क्या कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत हुई थी, और दिल्ली सरकार विशेषज्ञ पैनल के गठन के लिए उपराज्यपाल से नए सिरे से मंजूरी मांग रही है।  दिल्ली सरकार ने जून में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली मौतों की जांच के लिए चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।  उपराज्यपाल ने समिति को खारिज कर दिया था।