/fit-in/640x480/dnn-upload/images/2021/10/16/1-1634380488.jpg)
नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी (Trinamool Congress chief Mamata Banerjee) इन दिनों दिल्ली में चर्चा के केंद्र में हैं। उनके दिल्ली दौरे के दौरान मिलने के लिए नेताओं की कतार लगी हुई है और तीन प्रमुख राजनेता ममता की पार्टी में शामिल हुए हैं, जिनमें एक कांग्रेसी, एक पूर्व कांग्रेसी और एक जदयू नेता शामिल हैं।
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के दिल्ली आने से कांग्रेस में हड़कंप मच गया है और पुरानी पार्टी अनुमान लगा रही है कि अगला कौन हो सकता है?
कीर्ति आजाद, अशोक तंवर और पवन वर्मा तीनों विविध पृष्ठभूमि वाले पूर्व सांसद हैं, जो मंगलवार को तृणमूल में शामिल हो गए। आजाद, पूर्व क्रिकेटर और पूर्व भाजपा सांसद हैं, जो कांग्रेस में चले गए थे, अब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सदस्य हैं। आजाद कांग्रेस में अलग-थलग महसूस कर रहे थे और इसलिए उन्होंने पार्टी छोडऩे का फैसला किया। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके। वह पहले भाजपा के साथ थे, लेकिन नेतृत्व के साथ मतभेदों के बाद उसे छोड़ दिया। आजाद की पत्नी भी दिल्ली की राजनीति में सक्रिय हैं।
हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी छोड़ दी और अब टीएमसी में शामिल हो गए हैं, जबकि पूर्व नौकरशाह और जदयू के पूर्व सांसद पवन वर्मा भी अब ममता बनर्जी के साथ हैं।
सूत्रों ने कहा है कि कांग्रेस के नेता जो पार्टी नेतृत्व से खुश नहीं हैं, वे तृणमूल में शरण ले रहे हैं, क्योंकि चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर नए लोगों को तृणमूल में शामिल होने के लिए एक सूत्रधार की भूमिका निभा रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि किशोर वास्तव में नेताओं से व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर रहे हैं।
इससे पहले, असम से सुष्मिता देव और गोवा से लुइजि़न्हो फलेरियो, जो हाल ही में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे, दोनों को गांधी परिवार का करीबी माना जाता है। यह फलेरियो ही हैं, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि किशोर और उनकी टीम के अलावा किसी और ने उनसे ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के लिए संपर्क नहीं किया था।
पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतने के बाद तृणमूल कांग्रेस भी अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोडऩे की कोशिश कर रही है।
फलेरियो ने कांग्रेस को 'विभाजित सदन' बताते हुए कहा, 'हमें यह देखना होगा कि दिल्ली और गोवा में मौजूदा सरकार का सामना करने की शक्ति किसके पास है। निश्चित रूप से मैं ममता का समर्थन करूंगा, क्योंकि उन्होंने लड़ाई लड़ी है और सफल हुई हैं ... वह महिला सशक्तीकरण का प्रतीक हैं जो इस देश को पटरी पर वापस ला सकती हैं।'
अब, कांग्रेस जो अपने नेताओं को भाजपा द्वारा अवैध शिकार से बचाने की कोशिश कर रही थी, उसे तृणमूल के खिलाफ भी अपनी पहरेदारी बढ़ाने की जरूरत है।
कांग्रेस के गोवा राज्य प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने किशोर पर हमला किया था और आरोप लगाया था कि वह टीएमसी प्रमुख को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा था, 'उनके (टीएमसी) इरादे क्या हैं? वे यहां बीजेपी की मदद के लिए आए हैं और मुझे नहीं पता कि ममता दीदी को पता है या नहीं, लेकिन जो लोग इस आईपीएसी (किशोर के संगठन) को चला रहे हैं, उनका एक अलग एजेंडा है। लगता है, वे ममता दीदी को भी धोखा दे सकते हैं।'
कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि किशोर कांग्रेस से बदला लेने की होड़ में हैं, लेकिन अगर कुछ लोग पार्टी छोड़ रहे हैं, तो इससे कांग्रेस के प्रभावित होने की संभावना नहीं है। बदला लेने की बात इसलिए कही जा रही है, क्योंकि किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की संभावना थी, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने ऐसा नहीं होने दिया।
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |