/fit-in/640x480/dnn-upload/images/2021/05/05/CM-mamata-banerjee-3-1620190642.jpg)
ममता बनर्जी आज तीसरी बार बंगाल के मुख्यमंत्री पद के रूप में एक बार फिर से शपथ ग्रहण करेंगी। एक फिर ममता बनर्जी ने अपने आपको साबित कर दिया है और बंगालियों की दिल जीतकर फिर से बंगाल की कमान अपने हाथ लेंगी। बीजेपी जीतोड़ मेहनत करने के बाद भी ममता का किला गिराने में नाकामयाब रही। ममता बनर्जी ने बीजेपी को ठेंगा दिखा दिया है लेकिन खतरे की घंटी अभी भी बज रही है।
अब ममता बंगाल विधानसभा की विधायक नहीं होने के बावजूद भी प्रदेश की कमान संभालेंगी। ममता नंदीग्राम से अपने पुराने सहयोगी और भाजपा उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी से चुनाव हार गई हैं। हार के बाद भी ममता राज्य की मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद फिर से विधानसभा सीट से चुनाव जीतना होगा। अगर ममता चुनाव जीत जाती है तो फिर सीएम की गद्दी संभाल सकती है लेकिन यह चुनाव हार जाती है तो ममता को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी।
कब तक बिना विधायक बने रह सकते हैं मुख्यमंत्री? जानिए Article 164(4)
संविधान में अनुच्छेद 164(4) है जो कि बताता है कि “कोई भी व्यक्ति किसी राज्य में मंत्री पद की शपथ ले सकता है, लेकिन छह महीने के भीतर उसे किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आना होगा”। इसके अलावा संविधान में यह भी बताया गया है कि “ अनुच्छे 164(4) के मुताबिक राज्य में विधान परिषद है तो वो MLC के रूप में भी चुना जा सकता है। मुख्यमंत्री भी एक मंत्री होता है, इसलिए यही नियम उस पर भी लागू होता है ”।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2001 में Article 164(4) के तहत कोई भी व्यक्ति बिना किसी सदन का विधायक या MLC बने दो बार मंत्री नहीं बनाए जाने का आदेश जारी किया था और बंगाल में 1969 में विधान परिषद खत्म कर दी गई है। ऐसे में ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद के लिए छह महीने के भीतर किसी सीट से विधानसभा चुनाव फिर से जीतना ही होगा।
फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर हमसे जुड़ें |