हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम) (HAM) के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (LJP) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (up assembly elections) में अकेले लड़ने का फैसला किया है। नई दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। पार्टी के बिहार राज्य प्रवक्ता चंदन सिंह ने कहा, लोजपा अन्य राजनीतिक दलों के साथ बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ेगी। वह सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

सिंह ने कहा, बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष मणिशंकर पांडे (manishankar pandey) और उत्तर प्रदेश के जिला स्तर पर सभी कार्यकारी समिति के सदस्य मौजूद थे। उन्होंने सर्वसम्मति से इसे अकेले जाने और सत्तारूढ़ भाजपा और समाजवादी पार्टी को चुनौती देने का फैसला किया है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में, लोजपा ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल एक ही जीत पाई थी। निराशाजनक प्रदर्शन के बाद, वर्तमान केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras), सांसद प्रिंस राज पासवान, बाहुबली नेता सूरजभान सिंह और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने चिराग पासवान (Chirag Paswan) की नीतियों की आलोचना की और बाद में पार्टी को विभाजित कर दिया।

हालांकि लोजपा (रामविलास) या एचएएम जैसी पार्टियों को बिहार में दलित समुदायों की पार्टियों के रूप में माना जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश में उनकी स्थिति ‘वोट कटवा’ से अधिक नहीं होगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ये दल उत्तर प्रदेश में उच्च जातियों की पार्टी मानी जाने वाली भाजपा के लिए आदर्श हैं। लोजपा (रामविलास) (LJP) और हम की मौजूदगी समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के वोट काटेगर, जो यादव, मुस्लिम और दलित मतदाताओं पर निर्भर हैं। चंदन सिंह ने दावा किया कि पार्टी के पास उत्तर प्रदेश के हर जिले में संगठनात्मक संरचना और ताकत है और वह अपने दम पर चुनाव लडऩे में सक्षम है।