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दिवंगत दिग्गज नेता रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) टूट गई है। लोजपा के पांचों बागी सांसदों ने मिलकर चिराग पासवान को पार्टी के संसदीय दल के नेता पद से हटा दिया है और उनके बागी चाचा पशुपति पारस पासवान को नया नेता चुना है। पार्टी में चल रही उठापटक के बीच आज पशुपति पारस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उन्होंने पार्टी को तोड़ा नहीं बचाया है। उन्होंने कहा कि उन्हें चिराग पासवान से कोई नाराजगी नहीं है, अगर वे चाहें तो पार्टी में रह सकते हैं।
हाजीपुर से पार्टी के सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार ने कहा कि हम घुटन महसूस कर रहे थे। आठ अक्टूबर 2020 को रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी नेतृत्व ने कुछ ऐसे फैसले लिए जिनकी वजह से आज पार्टी इस कगार तक आ पहुंची। पार्टी के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया। पशुपति कुमार पारस ने इसे मजबूरी में लिया गया फैसला करार देते हुए इसकी वजहें गिनाईं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी दल में विलय का उनका कोई इरादा नहीं है। लोजपा के 99 फीसदी सांसद-विधायक और कार्यकर्ता चाहते थे कि गरीबों, मजलूमों और समाज के वंचित तबकों के हितों की रक्षा के लिए एनडीए के साथ बने रहें लेकिन सबकी भावनाओं को दरकिनार करते हुए चिराग पासवान ने अलग चुनाव लडऩे का फैसला कर लिया। उन्होंने कहा कि चिराग पासवान से उनका कोई गिला-शिकवा नहीं है। वे चाहें तो पार्टी में बने रह सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा चिराग पासवान अब भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। गौरतलब है कि पशुपति कुमार पारस को 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम नीतीश कुमार और उनके कामों की तारीफ करने पर पार्टी नेतृत्व की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। यहां तक कि उन्हें उसी शाम अपना बयान वापस लेना पड़ा था।
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