लखीमपुर खीरी कांड ( Lakhimpur Kheri case)  पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विशेष जांच दल (Special Investigation Team) का पुनर्गठन किया है। इसमें 3 वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों, एसबी शिरोडकर, दीपिंदर सिंह और पद्मजा चौहान को शामिल किया गया है। सुप्रीम कोर्ट मामले में चार्जशीट दाखिल होने और सेवानिवृत्त जज से रिपोर्ट मिलने के बाद मामले की अगली सुनवाई करेगा।

पिछली सुनवाई में शीर्ष कोर्ट ने इस मामले की जांच की निगरानी हाईकोर्ट के पूर्व जज से कराने की बात कही थी, जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh government)  सहमत है। इसके अलावा कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी पर आपत्ति जताई थी। कोर्ट का कहना था कि इसमें सिर्फ इस्पेक्टर स्तर के अधिकारी हैं, लिहाजा इसका पुनर्गठन किया जाए।

सोमवार को मामले पर हुई सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri violence ) मामले की निगरानी के लिए उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की नियुक्ति कर सकती है। इसपर शीर्ष अदालत ने नाम तय करने के लिए 17 नवंबर तक का समय दिया था।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice of India NV Ramana) , न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Justice Surya Kant) और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने कहा था कि कोर्ट पहले उस न्यायाधीश से बात करेगी, जिसे राज्य सरकार नियुक्त करने पर विचार कर रही है। शुरुआत में उत्तर प्रदेश सरकार यकी ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ से कहा था कि सरकार ने इसे अदालत के उपर छोड़ दिया है, जिसे भी अदालत चाहे उसे जांच की निगरानी के लिए नियुक्त कर सकती है।

इसके अलावा हरीश साल्वे से यह भी कहा कि राज्य सरकार कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को विशेष जांच टीम (SIT) में शामिल करेगी। एसआइटी में ज्यादातर अधिकारी लखीमपुर के ही हैं। बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को यूपी कैडर के आइपीएस अधिकारियों के नाम एसआईटी में शामिल करने के लिए कहा है, जो यूपी से न हों। पीठ ने जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन या न्यायमूर्ति रंजीत सिंह के नामों का सुझाव दिया था।