नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्य विपक्षी दल सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली (KP Sharma Oli)  ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार बनते ही भारत से 3 इलाके छीन लेंगें। उन्होंने भारत से कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख क्षेत्रों को बातचीत के जरिए वापस लेने का ऐलान किया है। दोनों देशों के बीच मई 2020 के बाद से राजनयिक संबंध खराब हो गए थे। उधर, भारत में नेपाल के दूतावास ने शनिवार को नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (K. P. Sharma Oli) के बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

लिपुलेख दर्रा कालापानी के पास एक सुदूर पश्चिमी बिंदु है, जो नेपाल और भारत के बीच एक विवादित सीमा क्षेत्र है। भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपने क्षेत्र के अभिन्न अंग के रूप में दावा करते हैं। भारत उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के हिस्से के रूप में और नेपाल धारचूला जिले के हिस्से के रूप में इस पर दावा करता है।

काठमांडू से 160 किलोमीटर दक्षिण में चितवन में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के 10वें आम सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ओली ने दावा किया कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में वापस आती है तो वह ‘भारत से बातचीत के माध्यम से लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख जैसे विवादित क्षेत्रों को वापस ले लेगी.’ उन्होंने कहा, ‘हम बातचीत के जरिए समस्याओं के समाधान के पक्ष में हैं, न कि पड़ोसियों से दुश्मनी करके।’

अपने संबोधन में, ओली ने कहा कि उनकी पार्टी ‘नेपाल की स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इस बीच, उद्घाटन कार्यक्रम को विशेष अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) ने सभी राजनीतिक दलों से देश के विकास के लिए एक साथ आने और हाथ मिलाने का आग्रह किया। सम्मेलन की सफलता की कामना करते हुए उन्होंने कहा, ‘हम सभी संविधान का मसौदा तैयार करने वाले थे, अब समय आ गया है कि हम सभी देश के विकास के लिए आगे बढ़ें।