अमरीका ने सप्ताहांत में अफगानिस्तान में ड्रोन हमले में अल-कायदा के शीर्ष नेता अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया, जिससे आतंकवादी संगठन को बड़ा झटका लगा। अल-जवाहिरी ने 2001 में अमेरिका पर 11 सितंबर के हमलों की देखरेख की थी, जिसमें 2,977 लोग मारे गए थे - ओसामा बिन-लादेन के साथ, जिसे 2011 में अमेरिका ने पाकिस्तान में मार दिया था।

ये भी पढ़ेंः अलकायदा के सरगना जवाहिरी को एक गलती पड़ी भारी, ऐसे आया अमरीका के निशाने पर और सो गया मौत की नींद में


बता दें कि जवाहिरी का भारत को डराने-धमकाने का भी एक लंबा इतिहास रहा है। पिछले अप्रैल में उसने एक भारतीय छात्र की प्रशंसा की थी, जो मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनने से रोकने के प्रयासों के खिलाफ खड़ा हुआ था। उसने कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने को मुसलमानों के लिए ‘स्लैम’ कहा था। मुस्कान मांड्या के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के वाणिज्य द्वितीय वर्ष की छात्रा है। मुस्कान तब चर्चा में आईं जब वह ‘जय श्री राम' के नारे लगाते लड़कों के झुंड के सामने ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे लगाए थे। एक मीडिया चैनल से बात करती हुईं मुस्कान ने बताया कि वह कॉलेज असाइनमेंट के लिए आई थीं। कुछ लड़कों की भीड़ मुझे अंदर नहीं जाने दे रहे थे, क्योंकि मैनें बुर्का पहना हुआ था। उनका कहना था कि पहले बुर्का उतारो फिर अंदर जाओ। मैं वहां दोबारा गई तो लड़कों ने मुझे घेर लिया और जय श्री राम के नारे लगाने लगे, इसके जवाब में मैनें भी अल्लाहू अकबर का नारा लगाया। वह बताती है कि मेरे टीचर और प्रिंसिपल ने मेरा सपोर्ट किया, उन लोगों ने मुझे भीड़ से बचाया। 

ये भी पढ़ेंः गजबः रेप का लगाया था झूठा आरोप, फिर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनाई ऐसी अनोखी सजा, आप भी हो जाएंगे हैरान


वहीं अल-जवाहिरी, जन्म से मिस्री है। उसने चिकित्सक बनने के लिए प्रशिक्षण लिया था। उसके बारे में सूचना देने के लिए 2.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम था। अमेरिका ने उसे 1998 में केन्या और तंजानिया में अपने दूतावासों और 2000 में अपने नौसैनिक जहाज यूएसएस कोल पर बमबारी के लिए भी जिम्मेदार ठहराया। अल-जवाहिरी को सीआईए द्वारा संचालित ड्रोन से दो हेलफायर मिसाइलों द्वारा मार दिया गया था, जब वह काबुल में एक घर की बालकनी पर था, जहां वह अपने परिवार के साथ रह रहा था। पत्रकारों को जानकारी देने वाले अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, हमले में उनके परिवार का कोई सदस्य या अन्य नागरिक घायल या मारे नहीं गए। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्र और शायद दुनिया के नाम एक संबोधन में कहा कि अमेरिकी खुफिया ने वर्ष की शुरुआत में कायदा नेता को अफगानिस्तान में ट्रैक किया था और उन्होंने एक सप्ताह पहले 25 जुलाई को अल-जवाहिरी को मारने के लिए ऑपरेशन को आगे बढ़ाया था।