कई बार ऐसा होता है कि शिशु को आराम (Baby Rest) देने की सोच कर पेरेंट्स तीन-चार महीने की उम्र से ही शिशु को तकिया (Baby pillow) लगाने लगते हैं. उनको लगता है कि तकिया न लगाने की वजह से जैसी असुविधा मुझे होती है कहीं शिशु को भी न हो रही हो. दरअसल सभी मां-बाप ये कोशिश करते हैं कि अपने बच्चे की सभी ज़रूरतों का ख्याल रखा जाये और उसके लिए छोटी-बड़ी वो सभी चीज़ें उपलब्ध करवाई जाएं जो बच्चे को आराम दे सकें. खासकर तब जब वो पहली बार मां-बाप बने हों. लेकिन क्या आप जानते हैं कि तकिया लगाने से शिशु को क्या खतरा हो सकता है और किस उम्र से पहले शिशु को तकिया नहीं (No pillow before age) लगाना चाहिए, जानें.

शिशु को तकिया लगाने की वजह से कई बार उसका दम घुटने की संभावना बनी रहती है, जिससे सडन इंफैंट डेथ सिंड्रोम का खतरा बढ़ सकता है. दरअसल शिशु नींद में या खेलते हुए तकिये पर पलट सकता है या तकिया उसके चेहरे पर आ सकता है जिससे उसके दम घुटने की संभावना होती है.

सिर का शेप बिगड़ने का खतरा रहता है

शिशु को तकिया लगाने से उसके सिर का शेप बिगड़ने का खतरा भी बना रहता है. शिशु का सिर बेहद लचीला होता है इसलिए जब बिना मूवमेंट के वो काफी देर तक एक ही अवस्था में लेटा रहता है तो उसके सिर पर दवाब पड़ता है जिससे उसके सिर का शेप बिगड़ सकता है.

शिशु को कम से कम डेढ़ से दो वर्ष की उम्र हो जाने पर ही तकिया लगाना चाहिए. इस उम्र में शिशु कुछ-कुछ चीज़ें समझने लगता है. ऐसे में नींद या खेल के दौरान तकिया अगर शिशु के ऊपर आ भी जाये या वो खुद तकिये पर पलट जाये तो दम घुटने की स्थिति में वो रिएक्ट कर सकता है. वो अपने चेहरे को मूव कर सकता है और तकिये को अपने ऊपर से  हटा भी सकता है. इसके साथ ही इस उम्र तक शिशु का सिर भी लचीला नहीं रहता है जिससे सिर का शेप बिगड़ने की संभावना भी नहीं रहती है.