ये कहानी है राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के सहादा गांव में रहने वाली अनिशा की। यों तो अनिशा एक रूढ़िवादी परिवार से आती हैं, लेकिन तमाम मु्श्किलों और आर्थिक समस्याओं के बीच अनिशा ने अपना खुद का एक मुकाम हासिल किया है। किसान दिवस के मौक़े पर यह कहानी आप को भी प्रोत्साहित करेगी और आप भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा सकती हैं। 

दरअसल, अनिशा भाग्य लक्ष्मी ने SHG की सदस्य बनकर दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के अंतगर्त 4 दिवसीय कौशल प्रशिक्षण हासिल किया और उसके बाद वो पशु सखी बन गईं। अनिशा अब आसपास के गांवों में जाकर पशुधन विकास, पौष्टिक आहार व उनके टीकाकरण आदि के लिए लोगों को प्रोतसाहित करती हैं। इसके साथ ही अनिशा आज गाय व ऊंट पालन के साथ साथ खुद के एग्री गार्डन से 9100 रुपय़े भी कमा रही हैं। 

आज किसान दिवस के मौके पर लोग किसानों को खूब प्रोत्साहित कर रहे हैं। ऐसे ही अनिशा के जज़्बे और मेहनत को देख भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म कू ऐप   पर पोस्ट कर उनकी सराहना करते हुए लिखा, सही प्रशिक्षण और मार्गदर्शन से अनिशा की ही तरह आज करोड़ों ग्रामीणों को मिला रोजगार का रास्ता। DAY-NRLM के अंतर्गत ग्रामीण किसान अपने गांव में ही प्रशिक्षण प्राप्त कर खुद का काम शुरू कर रहे हैं और अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं।

ग़ौरतलब है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) को ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) द्वारा जून 2011 में शुरू किया गया था। विश्व बैंक द्वारा निवेश के माध्यम से आंशिक रूप से सहायता प्राप्त इस मिशन का उद्देश्य ग्रामीण इलाक़ों के गरीबों के लिए कुशल और प्रभावी संस्थागत मंच बनाना है, जिससे उन्हें स्थायी आजीविका और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुंच के माध्यम से घरेलू आय में वृद्धि करने में सक्षम बनाया जा सके।

इस मिशन ने स्व-प्रबंधित स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और संघ संस्थानों के माध्यम से 8-10 वर्षों में देश के 600 जिलों, 6000 ब्लॉकों, 2.5 लाख ग्राम पंचायतों और 6 लाख गांवों में 7 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों को कवर करने और उन्हें आजीविका के लिए समर्थन देने के एजेंडे के साथ निर्धारित किया है। 

डीएवाई-एनआरएलएम गरीबों की जन्मजात क्षमताओं का इस्तेमाल करने में भरोसा रखता है और देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए उन्हें क्षमताओं (सूचना, ज्ञान, कौशल, उपकरण, वित्त और सामूहिकता) के साथ जोड़ता है। नवंबर 2015 में इस कार्यक्रम का नाम बदलकर दीनदयाल अंत्योदय योजना (डीएवाई-एनआरएलएम) कर दिया गया।