Royal Family की जासूसी के आरोप में जॉर्डन के प्रिंस हमजा को नजरबंद कर दिया गया है। इसी के साथ ही अब जॉर्डन में खींचतान की स्थिति बनी हुई है। किंग अब्दुल्ला के सौतेले भाई प्रिंस हमजा ने देश के नेताओं पर भ्रष्टाचार, अक्षमता और उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। वहीं प्रिंस हमजा के खिलाफ सरकार या किंग अब्दुल्ला के विरूद्ध साजिश रचने का आरोप है। हालांकि प्रिंस हमजा ने इन आरोपों से इनकार किया है।

जॉर्डन की सरकार ने बीते शनिवार को एक पूर्व मंत्री और शाही परिवार के एक अन्य सदस्य सहित, 'जॉर्डन की सुरक्षा और स्थिरता' का हवाला देते हुए कई अन्य हाई प्रोफाइल लोगों की गिरफ्तारियां कीं। यह सब उस जॉर्डन में हो रहा है जो अरब वर्ल्ड में सबसे स्थिर देश माना जाता है। जॉर्डन में किसी तरह का गतिरोध बहुत मुश्किल से ही देखने को मिलता है। लेकिन नए घटनाक्रम के चलते दुनियाभर के पर्वेक्षकों की नजरें अब जॉर्डन पर टिकी हुई हैं।

पैगंबर मुहम्मद से रिश्ता बताने वाले जॉर्डन के शाही परिवार का शासन 1999 से चल रहा है और इसकी कमान 59 वर्ष के अब्दुल्ला II के पास है। वह दिवंगत राजा हुसैन के सबसे बड़े बेटे हैं। उनकी मां ब्रिटेन में जन्मी रानी मूना हैं।

वहीं हमजा किंग हुसैन की चौथी पत्नी अमेरिकी में जन्मी रानी नूर के बेटे हैं। चार शादियों से जन्मी 11 संतानों में प्रिंस हमजा को दिवंगत किंग हुसैन के सबसे करीबियों में गिना जाता था। हमजा को 1999 में जॉर्डन का क्राउन प्रिंस घोषित किया गया था। उसी साल किंग हुसैन का निधन हुआ था। उस समय हमजा को हुसैन के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा था, हालांकि अब्दुल्ला ने गद्दी संभाली। अब्दुल्ला ने 2004 में हमजा से क्राउन प्रिंस का दर्जा वापस ले लिया और उसे अपने बेटे को दे दिया। इसे रानी नूर के लिए एक झटका के रूप में देखा गया, जो अपने बेटे को राजा बनते हुए देखना चाहती थीं।

इन सबके बावजूद 29 मार्च 1980 को जन्मे हमजा जॉर्डन के शाही परिवार की एक लोकप्रिय शख्सियत बने रहे। वह अपने पिता के प्रति अगाध सम्मान रखते हैं। उन्हें धार्मिक नजरिये से भी देखा जाता है। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि क्राउन प्रिंस न होने के बावजूद देश की सेना में ब्रिगेडियर के पद के साथ साथ अन्य पदों को भी वह संभाल रहे थे। प्रिंस हमजा ब्रिटेन के हैरो स्कूल और रॉयल मिलिट्री एकेडमी, सेंडहर्स्ट से ग्रेजुएट हैं। उन्होंने अमेरिका के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से भी पढ़ाई की है।

बताया जा रहा है कि एक कबाइली नेता की प्रिंस हमजा से हुई मुलाकात के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। माना जा रहा है कि प्रिंस हमजा को कबाइली नेताओं का समर्थन हासिल है। हालांकि दोनों सौतेले भाइयों के बीच खुली प्रतिद्वंद्विता के कोई संकेत नहीं दिख रहे थे। हमजा ने 2018 में सरकार की नीतियों की आलोचना की थी, और अधिकारियों पर आयकर कानून की मंजूरी के बाद "विफल मैनेजमेंट" का आरोप लगाया था।

हालांकि प्रिंस हमजा ने किसी प्रकार की साजिश की बात से इनकार किया है। उनका कहना है कि शासन में टूट-फूट, भ्रष्टाचार और अक्षमता के लिए वो जिम्मेदार नहीं हैं। यह सब शासन तंत्र में बीते 15-20 सालों से चल रहा है और बेहद खराब होता जा रहा है। उनके संस्थानों में लोगों की आस्थाएं कम होने के लिए वह जिम्मेदार नहीं हैं। हमजा का आरोप है कि उनके सभी स्टाफ को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके परिवार को अम्मान के बाहर रखा गया है। उनके इंटरनेट और फोन कनेक्शन को काट दिया गया है।

जॉर्डन के पारंपरिक सहयोगियों जिनमें अमेरिका, सऊदी अरब और मिस्र शामिल हैं, ने किंग अब्दुल्ला के प्रति समर्थन जाहिर किया है। जॉर्डन, सऊदी अरब और मिस्र, सभी सुन्नी-बहुमत वाले देश हैं जिनका वर्षों से शिया बहुल ईरान के खिलाफ गठजोड़ बना हुआ है। जॉर्डन के अमेरिका के साथ भी मजबूत संबंध हैं, इराक युद्ध के दौरान और साथ ही इस्लामिक स्टेट के खिलाफ दोनों साथ काम कर रहे थे। हालांकि मूल रूप इजरायल और जॉर्डन प्रमुख प्रतिद्वंद्वी देश हैं लेकिन 1994 में दोनों देशों ने एक शांति संधि पर हस्ताक्षर किए थे।