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नई दिल्ली। भारत के मशहूर गीतकार और लेखक जावेद अख्तर ने पाकिस्तान पर जबरदस्त उर्दू स्ट्राइक की है जिससें उसकी इज्जत का फलूदा बन गया. दरअसल, इस गीतकार ने अपनी पत्नी शबाना आजमी के साथ शायराना-सरताज नाम की एक उर्दू शायरी एल्बम लॉन्च किया था. इस मौके पर उन्होंन उर्दू भाषा के महत्व और इसके पिछले विकास और प्रमुखता में पंजाब की भूमिका पर बात की. जावेद अख्तर ने इस दौरान कहा उर्दू पाकिस्तान या मिस्र की नहीं बल्कि यह हिंदुस्तान की भाषा है. उन्होंने पंजाब से लगभग विलुप्त हो चुकी 'उर्दू' भाषा में कविताओं के बारे में बात की. इतना ही नहीं बल्कि इसे आज भी जिंदा रखने के लिए डॉ. सतिंदर सरताज की तारीफ की.
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उर्दू हिंदुस्तान की भाषा
इस कार्यक्रम के दौरान जावेद ने कहा कि उर्दू किसी और जगह से नहीं आई है. हिंदुस्तान की अपनी भाषा है जो यहां के बाहर नहीं बोली जाती है. भारत से विभाजन के बाद पाकिस्तान अस्तित्व में आया. उससे पहले यह उर्दू केवल भारत का हिस्सा थी. इसलिए यह भाषा हिंदुस्तान के बाहर नहीं बोली जाती है.
पंजाब का बड़ा योगदान
जावेद ने कहा कि उर्दू के प्रति पंजाब का बड़ा योगदान है तथा यह भारत की भाषा है! लेकिन आपने यह भाषा क्यों छोड़ी? विभाजन के कारण? पाकिस्तान की वजह से? उर्दू पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले हिन्दुस्तान ही था और पाकिस्तान बाद में हिन्दुस्तान से अलग हुआ. अब यदि पाकिस्तान कहे कि कश्मीर हमारा है तो क्या आप ऐसा मानेंगे? मुझे नहीं लगता'! इस वजह से उर्दू एक हिंदुस्तानी भाषा है और यह बनी हुई है. उन्होने कहा कि आजकल हमारे देश में नई पीढ़ी के युवा उर्दू और हिंदी कम बोलते हैं. आज के समय मे अंग्रेजी पर फोकस है. परंतु हमें हिंदी में बात करनी चाहिए क्योंकि यह हमारी राष्ट्रभाषा है.
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पाकिस्तान जाकर बजाई बैंड
गौरतलब है कि जावेद पिछले महीने फेमस उर्दू शायर फैज अहमद फैज की याद में पाकिस्तान के लाहौर में साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें वो शामिल हुए थे. इस दौरान जावेद का भारत और पाकिस्तान के रिश्तों पर टिप्पणी करने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था. इस दौरान जावेद ने कहा था कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं होगा कि हमने अपने देश में नुसरत फतेह अली खान और मेहदी हसन साहब के भव्य समारोह आयोजित किए हैं. लेकिन आप लता मंगेशकर का एक भी कार्यक्रम आयोजित नहीं कर पाए.
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