जापान का ट्रेन सिस्टम (Japan Train) दुनिया भर में अपनी सटीक टाइमिंग के लिए बहुत मशहूर है। यहां ट्रेनों का लेट होना बेहद दुर्लभ केस होता है। ट्रेन का एक मिनट भी लेट (train late) होना भी इस देश में सुर्खियां बन जाता है। लेकिन हाल ही में एक ड्राइवर की गलती से ट्रेन मिनट लेट हुई तो उसकी सैलरी (Salary) से 56 पाउंड (करीब साढ़े 5 हजार) काट लेने का आदेश जारी कर दिया गया।

लेकिन इस आदेश से नाराज ट्रेन ड्राइवर (Train Driver) कोर्ट चला गया और 14,300 पाउंड यानी 14 लाख रुपये मुआवजे की मांग कर दी। अब इस ड्राइवर के समर्थन में दूसरे लोग भी आ गए हैं। यह ड्राइवर पिछले साल 18 जून को ओकायामा स्टेशन (Okayama Station) पर एक खाली ट्रेन ले जाने के लिए रवाना हुआ था। इस बीच अचानक उसे पेट में दर्द हुआ तो वह बाथरूम चला गया। उसने अपने जूनियर ड्राइवर को कार्यभार सौंप दिया, लेकिन उसने ट्रेन गलत प्लेटफॉर्म पर चला दी। इस वजह से ट्रेन एक मिनट लेट हो गई। इस वजह से ट्रेन के प्रस्थान और आगमन दोनों में एक-एक मिनट की देरी हुई। इसी के चलते वेस्ट जापान रेलवे कंपनी (West Japan Railway Company) ने उसकी जुलाई की सैलरी में से 5,600 रूपये काट लिए।

कंपनी ने इस देरी के लिए कटौती (salary cut) को सही ठहराते हुए कहा कि इस दौरान 'कोई श्रम नहीं किया गया'। इस फैसले के खिलाफ ड्राइवर ओकायामा लेबर स्टैंडर्ड इंस्पेक्शन ऑफिस पहुंच गया। यहां कंपनी ने ट्रेन में हुई देरी के समय को दो मिनट से एक मिनट कर दिया और जुर्माना घटाकर 28 पाउंड कर दिया। इस पर भी ड्राइवर राजी नहीं हुआ। उसने तर्क दिया कि ट्रेन के लेट होने कारण समय सारिणी में कोई व्यवधान नहीं हुआ था।

इसके बाद ट्रेन ड्राइवर (train driver) ओकायामा जिला न्यायालय चला गया। उसने एक मिनट की देरी के लिए जो उसपर जुर्माना लगाया है उसके खिलाफ मुआवजे की मांग की। उसने अपनी छवि, ओवरटाइम में कटौती, मानसिक पीड़ा, नौकरी में आई दिक्कतों आदि का जिक्र करते हुए कंपनी से 14 लाख रुपये मुआवजा दिलाने की मांग की।

इस कंपनी ने वेतन कटौती के पीछे अपने 'काम नहीं, वेतन नहीं सिद्धांत' का हवाला दिया। जबकि ड्राइवर ने कंपनी पर 'मानवीय त्रुटि के लिए वेतन कटौती को "प्रतिबंध" के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया, और कहा कि एक छोटी सी गलती को अनुबंध का उल्लंघन नहीं माना जाना चाहिए। फिलहाल मामला कोर्ट में अभी भी चल रहा है।