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डर और उत्सुकता का भाव लेकर तारबंदी के पार 19 साल बाद अपने खेतों में पहुंचे किसानों ने सबसे पहले खेत की मिट्टी को चूमा। फिर ईश्वर को शुक्रिया कहा और रबी सीजन की फसल लगाने के लिए ट्रैक्टर दौड़ाने शुरू कर दिए। वहीं, पाकिस्तान की दिशा में हर 20 फुट पर बीएसएफ के जवान तैनात थे। कतार में खड़े जवान किसानों को निर्भीक होकर खेती करने के लिए प्रेरित करते रहे। भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर यह नजारा बरसों से बिछड़े मां-बेटे के मिलन जैसा रहा।
इस दौरान कई किसान भावुक भी हो गए। करीब दो दशक बाद पहली बार किसानों ने अपने खेत की मिट्टी को छुआ और उसमें पसीना बहाने में लग गए। उत्साह में कई किसानों ने दिन का खाना भी नहीं खाया। पाकिस्तान की गोलाबारी के चलते 2002 के बाद से तारबंदी के पार हजारों एकड़ भूमि खाली पड़ी रही। बीते साल प्रशासन और सीमा सुरक्षा बल ने अपने स्तर पर खेत जोतकर फसल लगाई। यह एक तरह का परीक्षण था। सरहद पर हालात सामान्य होने के बाद इस सीजन से किसानों को खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
कई बार किसान तैयार हुए लेकिन सुरक्षा कारणों से बात नहीं बन पाई। दो दिन पूर्व ही हीरानगर सेक्टर में किसान तारबंदी के पास से ही ट्रैक्टर, खाद और बीज के साथ बैरंग लौट गए थे। बुधवार को आखिरकार वो घड़ी आ ही गई। कृषि विभाग की टीम के साथ किसान सुबह 9 बजे छन्न टांडा गांव में खेती के लिए गए। बीएसएफ की सुरक्षा के बीच शाम 4 बजे तक यहां खेत जोतने का काम चलता रहा। पहले दिन करीब 15 एकड़ जमीन पर ट्रैक्टर चलाए गए। बीएसएफ के जवान लगातार किसानों की सुरक्षा में डटे रहे। किसान कहीं रुकते तो जवान उन्हें कहते-आप सुरक्षित हैं, बेखौफ ट्रैक्टर चलाते रहें।
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