भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान 26 मार्च को कट्टरपंथी संगठन हेफाजत-ए-इस्लाम द्वारा की गई हिंसा को कथित रूप से भड़काने के आरोप में शीर्ष जमात-ए-इस्लामी नेता और 1971 के युद्ध अपराधी शाहजहां चौधरी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। चटगांव के पुलिस अधीक्षक (विशेष शाखा) अब्दुल्ला अल मासूम ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तारी शुक्रवार रात की गई है। पुलिस के अनुसार, चौधरी पर सांप्रदायिक हिंसा भडक़ाने और 1971 के नरसंहार में उसकी भूमिका सहित 20 से अधिक आपराधिक मामलों का आरोप है।

चटगांव के एसपी मासूम ने शनिवार को आईएएनएस से पुष्टि करते हुए कहा, हमें चटगांव के हथजारी में 26 से 28 मार्च के दौरान हुई हिंसा में चौधरी के शामिल होने के सबूत मिले हैं। पुलिस ने कहा कि 1971 के युद्ध अपराधी को मामले में एक खास भूमिका निभाने के लिए गिरफ्तार किया गया है। चौधरी चटगांव के हथजारी में हेफाजत-जमात-बीएनपी आंतकियों द्वारा किए गए नरसंहार और अत्याचार के संबंध में दर्ज एक मामले में आरोपी है। उसे चट्टोग्राम में सतकानिया नगरपालिका के छमदार इलाके में उसके घर पर पुलिस छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया है।

हेफाजत-बीएनपी और जमात के आतंकवादी मार्च में नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान हथजारी में व्यापक हिंसा और तोडफ़ोड़ में शामिल थे, जिसमें स्थानीय पुलिस स्टेशन पर हमला भी शामिल है। इस हिंसा के सिलसिले में 10 मामलों में लगभग 2,500 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है। 1975 में राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजिबुर रहमान की हत्या के बाद, चौधरी ने कथित तौर पर जमात-ए-इस्लामी के छात्र विंग शिबिर के छात्रों द्वारा स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों की सामूहिक हत्याओं का नेतृत्व किया था। बता दें कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार ने इस्लामिक कट्टरपंथी समूह द्वारा मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा का विरोध करने वाले हिंसक अभियान के बाद हेफाजत-ए-इस्लाम पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू कर दी है। 50 से अधिक शीर्ष हेफाजत नेताओं और आतंकवादी समूहों से संबंधित कुछ अन्य इस्लामवादी जिहादियों को गिरफ्तार किया गया है।

हेफाजत को समर्थन देने के लिए लगभग 300 दाताओं की पहचान की गई है। गिरफ्तार होने वालों में मामूनुल हक जैसे शीर्ष हेफाजत नेता शामिल हैं, जिन्होंने कथित तौर पर अब स्वीकार किया है कि उनके समूह ने खुद को हसीना सरकार को गिराने और बांग्लादेश में तालिबान की तरह के इस्लामिक राज्य की स्थापना का उद्देश्य निर्धारित किया था।