इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने फिलिस्तीन के खिलाफ इजरायल का समर्थन करने वाले देशों का शुक्रिया अदा किया था। उन्होंने अपने ट्वीट में 25 देशों का जिक्र किया था। इन 25 देशों में भारत का नाम नहीं था जिसे लेकर सोशल मीडिया पर सत्ताधारी बीजेपी नेताओं पर तंज कसा जा रहा था क्योंकि कई बीजेपी नेताओं ने इजरायल के समर्थन में पोस्ट किया था। दूसरी तरफ, नेतन्याहू ने जिन देशों को शुक्रिया अदा किया, उनमें से एक ने इजरायल को समर्थन देने की बात से इनकार कर दिया है। नेतन्याहू के शुक्रिया वाले ट्वीट में इस देश ने जो जवाब दिया है, उससे नेतन्याहू के लिए शर्मिंदगी की स्थिति बन गई है।

नेतन्याहू के ट्वीट में अमेरिका, अल्बानिया, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, ब्राजील, बुल्गारिया, कनाडा, कोलंबिया, साइप्रस, चेक गणराज्य, जॉर्जिया, जर्मनी गुएंटेमाला, होन्दुरास, हंगरी, इटली, लुथुआनिया, मॉल्डोवा, नीदरलैंड्स, मेसिडोनिया, पराग्वे, स्लोवेनिया, यूक्रेन, उराग्वे का नाम लिया गया था. ट्वीट में जिन 25 इजरायल समर्थक देशों का झंडा दिखाया गया था, उसमें बोस्निया और हर्जेगोविना का झंडा भी था। अब बोस्निया और हर्जेगोविना के प्रेसिडेंशियल काउंसिल के एक सदस्य ने रविवार को इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के ट्वीट को लेकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उनका देश निर्दोष नागरिकों की जानें लेने का समर्थन नहीं करता है।

प्रेसिडेंशियल काउंसिल के सदस्य सेफिक जफेरोविच ने फेसबुक पर लिखा, इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को मेरा संदेश है कि बोस्निया और हर्जेगोविना गाजा में इजरायली सुरक्षा बलों के निर्दोष लोगों को जानें लेने का समर्थन नहीं करता है और ना ही कर सकता है।

उन्होंने नेतन्याहू से गाजा में इजरायल की तरफ से किए जा रहे ताबड़तोड़ हमलों को रोकने की अपील की और कहा कि फिलिस्तीनी और इजरायली लोगों के खातिर उन्हें शांति स्थापित करने में अपना योगदान देना चाहिए। बोस्निया और हर्जेगोविना की विदेश मंत्री बिसेरा तुर्कोविच ने भी इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के समर्थन देने के दावे को खारिज किया है। उन्होंने ट्वीट किया, बोस्निया और हर्जेगोविना फिलिस्तीन और इजरायल की समस्या के न्यायोचित समाधान का समर्थन करता है, किसी भी हमले से शांति और स्थिरता की तरफ आगे नहीं बढ़ा जा सकता है।

उन्होंने कहा, हम इजरायल से तत्काल हमले रोकने की मांग करते हैं, केवल बातचीत से ही शांति का रास्ता निकाला जा सकता है। हम उन कोशिशों का भी समर्थन करते हैं जिनसे हिंसा की मौजूदा लहर को रोकने में मदद मिल सकती है। 10 मई से शुरू हुए संघर्ष में गाजा में 192 फिलिस्तीनियों की जानें जा चुकी हैं। इनमें 34 महिलाएं और 58 बच्चे भी शामिल हैं।

रमजान महीने के दौरान पूर्वी यरुशलम से भड़की हिंसा कुछ ही दिनों में गाजा तक पहुंच गई। अल-अक्सा मस्जिद और शेख जर्राह में इजरायली सुरक्षा बलों के हमले के जवाब में गाजा के चरमपंथी संगठन हमास ने भी इजरायल पर लगातार रॉकेट दागे। हालांकि, इजरायल के हमले से गाजा में तबाही ज्यादा हुई है। इजरायल ने 1967 के युद्ध में पूर्वी यरुशलम पर अपना नियंत्रण कर लिया था। 1980 में पूरे शहर पर इजरायल का नियंत्रण हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल शेख जर्राह से फिलिस्तीनियों को बेदखल कराने की योजना बना रहा था जिसकी वजह से हिंसा भड़क उठी।

इजरायल के पीएम ने अपने ट्वीट में सबसे पहले नंबर पर अमेरिका का जिक्र किया था। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शनिवार को इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू से फोन पर बातचीत की और इजरायल-गाजा में हो रही हिंसा को लेकर चिंता जाहिर की। बाइडेन ने फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से भी फोन पर बातचीत की और कहा कि चरमपंथी संगठन हमास को इजरायल पर रॉकेट दागना बंद करना चाहिए।

बाइडेन ने हमास के रॉकेट हमलों के खिलाफ इजरायल के आत्म-रक्षा के अधिकार को समर्थन दिया और कहा कि दोनों ही तरफ लोगों की जानें गई हैं। व्हाइट हाउस के बयान के मुताबिक, बाइडेन ने इजरायल के शहरों और कस्बों पर हो रहे हमलों की निंदा की।
दूसरी तरफ, फिलिस्तीन के समर्थन में भी इस्लामिक देश एकजुट हो रहे हैं. रविवार को इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की आपात बैठक बुलाई गई जिसमें इजरायल से तत्काल हमले रोकने की मांग की गई। सऊदी अरब, पाकिस्तान, तुर्की, ईरान समेत कई देशों ने इजरायल के खिलाफ आवाज बुलंद की। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि ये एक ऐतिहासिक घड़ी है और हमें सही पक्ष के साथ खड़े होना चाहिए। कुरैशी ने कहा कि इस्लामिक देशों को फिलिस्तीनियों को निराश नहीं करना चाहिए। इस बैठक में उन इस्लामिक देशों पर भी निशाना साधा गया जिन्होंने पिछले कुछ सालों में इजरायल की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। पिछले साल इजरायल के साथ रिश्ते कायम करने वाला यूएई ओआईसी की बैठक में शामिल तो हुआ लेकिन इजरायल को लेकर उसने बहुत कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया।