अगर आप भी इस तरह की इच्‍छा रखते हैं निवेश थोड़ा हो और प्रॉफिट ज्‍यादा मीले तो बता दें कि मोती की खेती आपके लिए बेहतर विकल्‍प हो सकती है। जी हां, दरअसल 2 लाख रुपए का शुरुआती इन्वेस्टमेंट आपको 1 लाख रुपए महीने की इनकम भी कर सकता है। हालांकि इसके लिए वक्‍त और स्क्लि दोनों की जरूरत होती है।

बता दें कि डेढ़ साल बाद जब मोती तैयार हो जाते हैं तब एवरेज 1 लाख रुपए मंथली तक कमाई कर सकते हैं। दरअसल इन दिनों घरेलू और इंटरनेशनल मार्केट में मोती की काफी मांग है। बता दें कि क्वालिटी के हिसाब से मार्केट में एक मोती 250 रुपए से 15 हजार रुपए तक बिकता है।किस तरह होती है मोतियों की खेतीआपको बता दें कि इंडियन पर्ल कल्चर के फाउंडर अशोक मनवानी के मुताबिक मोतियों की खेती वैसे ही की जाती है जैसे नेचुरल रूप से मोती तैयार होती है। दरअसल इसकी खेती आप किसी तालाब में या फिर 1000 वर्गफीट का तालाब बनाकर कर सकते हैं।बता दें कि तालाब बनाने के बाद मार्केट या मछली घर से सीप खरीदें। क्वालिटी के हिसाब एक सीप करीब 1.5 से 5 रुपए के बीच पड़ता है। अब 2-3 दिन के लिए सीपों को तालाब में रहने दें। इससे सीपों की मांसपेशियां ढीली हो जाती है और आसानी से सर्जरी हो पाती है। फिर एक्सपर्ट की मदद से सीपों की सर्जरी कर उसके अंदर जिस डिजाइन का मोती चाहिए हो उसका फ्रेम डाला जाता है।मालूम हो कि इसके बाद नायलॉन के बैग में सीप को पानी भरे बड़े बर्तन में 10 दिन के लिए रख दें। बता दें कि इस पानी में एंटीबायोटिक भी मिला दें। एक जरुरी बात यह कि इस दौरान डेली सीप की जांच होती है कि कहीं ये मर तो नहीं गए हैं।10 दिन बाद तालाब में डालें सीपदरअसल मनवानी ने बताया कि शुरुआती 10 दिन एंटीबायोटिक पानी में रहने के बाद जितने सीप जिंदा बचते हैं उन्हें तालाब में डाला जाता है। उन्होंने बताया कि इन सीपों को नायलॉन के बैग में रखकर (1 बैग में 2 सीप) बांस या पाइप के सहारे तालाब में 1 मीटर गहरे पानी में लटका दिया जाता है।बता दें कि यह ध्यान रहे कोई भी सीप ऐसा ना रह जाए जो बांस पर लटका होने के बावजूद पूरी तरह से पानी से ना हो। बीच-बीच ऑर्गेनिक खाद तालाब में डालते रहें। इससे सीप की हेल्थ सही रहती है और सीपों के अदंर मोती बनने की प्रोसेस भी तेज हो जाती है। मालूम हो कि करीब डेढ साल बाद सभी सीपों को बाहर निकालकर उनमें से मोती बाहर निकाल ली जाती है।कमाएं 1 लाख महीने केआपको बता दें कि एजेंट के जरिए इन मोतियों को बेचने पर औसतन 250 से 500 रुपए प्रति मोती मिलते हैं। वहीं, खुद मार्केट में बेचने पर ये आंकड़ा 600 से 800 रुपए तक होता है। दरअसल देश में इन मोतियों की ज्यादा खरीद अहमदाबाद, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, सूरत और बाकी महानगरों में होती है। कुछ हाई क्वालिटी की मोतियों के लिए 2000 से 15 हजार रुपए तक भी मिल जाते हैं।बता दें कि अमूमन मोती खेती के एक लॉट में ऐसी 2-4 हाई क्वालिटी की मोतियां निकल ही आती हैं। सबको जोड़कर एवरेज 1 लाख तक कमाई हो जाती है। आम तौर पर मोती गोल होता है लेकिन सीप के अंदर डिजाइनर फ्रेम डालने से किसी भी डिजाइन (गणेश, ईसा, क्रॉस, फूल, आदि) की मोती तैयार हो जाती है। इनकी ज्यादा कीमत मिलती है।जानकारी के लिए बता दें कि महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में 12 से 15 महीने में मोतियां तैयार हो जाती हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश और बिहार में इसके लिए 18 महीने लगते हैं।सरकार कराती है ट्रेनिंगबता दें कि इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्‍चर रिसर्च यानि कि ICAR की CIAF विंग सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्‍वाकल्‍चर मोतियों की खेती के लिए फ्री ट्रेनिंग देती है। दरअसल 15 दिनों की ये ट्रेनिंग भुवनेश्वर में समुद्र तट के पास होती है।आपको बता दें कि इसमें सर्जरी समेत पूरी प्रोसेस सीखाते हैं। मालूम हो कि जिसे भी ये ट्रेनिंग लेनी हो वो CIAF के इन नंबरों पर बात कर सकता है। 0674 - 2465421, 2465446। सिर्फ इतना ही नहीं, सरकार मोतियों की खेती के लिए लोन भी देती है। नाबार्ड और अन्य कॉमर्शियल बैंक 15 साल के लिए स्पेशल इंट्रेस्ट रेट पर ये लोन देते हैं। साथ ही केंद्र सरकार की ओर से इस पर सब्सिडी की योजनाएं भी समय-समय पर चलाई जाती हैं।

20 हजार करोड़ का है मार्केट

जानकारी के लिए बता दें कि मोतियों का वर्ल्डवाइड बिजनेस करीब 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। जी हां, दरअसल इंडिया हर साल करीब 50 करोड़ रुपए से अधिक के मोती इम्पोर्ट करता है। वहीं, भारत से सालाना मोतियों का एक्‍सपोर्ट भी 100 करोड़ रुपए से अधिक का है।