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राजधानी दिल्ली (capital Delhi) चाइल्ड पोर्नोग्राफी (Child pornography) के खिलाफ दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल (Delhi police special cell) की साइबर क्राइम यूनिट ने विशेष ऑपरेशन चलाकर 36 घंटे में करीब 95 लोगों को गिरफ्तार किया है। जबकि विभिन्न थानों में 162 से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं। यह कार्रवाई नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से मिले इनपुट के आधार की गई है।
ऑपरेशन 'मासूम' (Operation Masoom) अभियान के तहत चलाया गया है, जिसमें विभिन्न जिलों की पुलिस टीम ने को-ऑर्डिनेशन का बेहतरीन नमूना पेश करते हुए साइबर क्राइम यूनिट के साथ इस ऑपरेशन को चलाया। चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ दिल्ली पुलिस का यह बहुत बड़ा ऑपरेशन माना जा रहा है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह का ऑपरेशन आगे भी दिल्ली पुलिस की ओर से चलाया जाएगा। पुलिस की इस कार्रवाई को एसीपी रमन लांबा के नेतृत्व में इंस्पेक्टर सुरजीत, एसआई मनोज व अन्य पुलिसकर्मियों की टीम ने अंजाम दिया है।
दिल्ली साइबर क्राइम यूनिट के पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि दिल्ली पुलिस को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से डिटेल प्राप्त हुई थी। एनसीआरबी का नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्प्लौएटेड चिल्ड्रेन (एनसीएमईसी) से करार है, जिसके तहत इस तरह की सूचनाओं का आदान प्रदान कर कर कार्रवाई करवाई जाती है।
इसी के तहत एनसीआरबी से मिली डिटेल के आधार पर दिल्ली भर के विभिन्न थानों में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर 162 मामले दर्ज किए। केस दर्ज होने के बाद पुलिस की टीम ने दिल्ली भर में कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की। अबतक की कार्रवाई के दौरान पुलिस ने 95 लोगों को गिरफ्तार किया है और उनसे पूछताछ करते हुए आगे की कार्रवाई कर रही है।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि एनसीएमईसी एक निजी और नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है, जिसे अमेरिका में स्थित यूनाइटेड नेशन्स कांग्रेस द्वारा 1984 में स्थापित किया गया था। इस ऑर्गेनाइजेशन ने फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत विभिन्न सोशल मीडिया प्लेफॉर्म से गठजोड़ कर रखा है। जिसकी मदद से वे सोशल मीडिया पर बारीकी नजर रख पाते हैं।
ऐसे में चाइल्ड पोर्नोग्राफी व बाल शोषण जैसी कोई भी गतिविधि देखने के बाद उसे चिन्हित कर लेते हैं। बाद में आईपी एड्रेस की मदद से उस यूजर का पता लगा लिया जाता है, जो चाइल्ड पोर्नोग्राफी को बढ़ावा दे रहा होता है। एनसीआरबी और एनसीएमईसी के बीच एमओयू साइन होने के बाद इस तरह की कोई भी जानकारी एनसीआरबी के साथ साझा की जाती है। जिसे बाद में दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम यूनिट को भेजा जाता है और फिर दिल्ली पुलिस उसमें एक्शन लेती है।
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