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महंगाई के मोर्चे पर अच्छी खबर है। जुलाई के महीने में रिटेल महंगाई दर जून के 7.01 फीसदी के मुकाबले घटकर 6.71 फीसदी पर आ गई है। तीन महीने बाद रिटेल महंगाई दर 7 फीसदी के नीचे आई है। इसके पहले अप्रैल 2022 से महंगाई दर लगातार 7.0 फीसदी के ऊपर बनी हुई थी। जुलाई महीने में महंगाई 5 महीने के निचले स्तर पर है।
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इसी तरह औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे पर भी संतोषजनक खबर है। जून महीने में औद्योगिक उत्पादन 12.3 फीसदी की दर से बढ़ा है। हालांकि मई के 19.6 फीसदी के मुकाबले इसमें कमी आई है। इसके बावजूद राहत की बात यह है कि मई में बेस इफेक्ट की वजह से आईआईपी में ज्यादा तेजी दिखी थी। इसलिए जून में 12.3 फीसदी की बढ़ोतरी संतोषजनक है। वहीं अगर जून 2021 से तुलना की जाय तो इस साल आईआईपी में 1.5 फीसदी की गिरावट है। जून 2021 में 13.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
जुलाई में रिटेल महंगाई दर, जून के मुकाबले कम हुई है। जून में यह 7.01 फीसदी पर थी, जबकि जुलाई में यह 6.71 फीसदी पर है। महंगाई में कमी की प्रमुख वजह दालें, अंडे, मांस-मछली और दूसरी खाने-पाने वाली चीजों की कीमतों में आई कमी की वजह है। इसका असर खाद्य महंगाई दर पर दिखा है। खाद्य महंगाई दर जून के 7.75 फीसदी के मुकाबले गिरकर 6.75 फीसदी पर आई है।
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जुलाई के महीने में भी ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर शहरी इलाकों से ज्यादा रही है। जारी आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण इलाके में यह 6.80 फीसदी थी, जबकि शहरी इलाकों में यह 6.49 फीसदी है। यानी ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को महंगाई की ज्यादा मार झेलनी पड़ रही है।
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मई के मुकाबले जून में आईआईपी में गिरावट की प्रमुख वजह माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और पॉवर जेनरेशन गतिविधियों में कम ग्रोथ होना है। इस दौरान माइनिंग सेक्टर में 7.5, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 12.5 फीसदी और इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में 16.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई है। जबकि मई में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 20.6 फीसदी की , माइनिंग में 10.9 फीसदी और इलेक्ट्रिसिटी में 23.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
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