अफगानिस्तान में तालिबान का राज कायम होने के बाद वहां फंसे भारतीयों को बड़ी राहत मिली है। काबुल एयरपोर्ट से कॉमर्शियल फ्लाइट्स बंद हैं और इस बीच भारतीय दूतावास के स्टाफ और देश के अन्य लोगों को लाने के लिए एयरफोर्स का विमान काबुल पहुंचा है। 

अफगानिस्तान ने अपना एयरस्पेस बंद नागरिक विमानों के लिए बंद कर दिया है, लेकिन मिलिट्री विमानों के जरिए अब भी लोगों को निकाला जा रहा है। इसी के तहत भारतीय वायुसेना का विमान सोमवार को दोपहर काबुल पहुंचा। अमेरिकी सैनिकों की ओर से कई देशों के नागरिकों को अफगानिस्तान से वापस निकलने में मदद की जा रही है।

काबुल पहुंचा भारतीय वायुसेना का विमान पाकिस्तानी एयरस्पेस से नहीं गुजरा बल्कि ईरान के रास्ते से काबुल पहुंचा। एक महीने पहले जब भारतीय वायुसेना का विमान कंधार स्थित भारतीय कौंसुलेट से अधिकारियों को लेकर आ रहा था तो पाकिस्तान ने फ्लाइट को अपने एयरस्पेस से गुजरने की अनुमति नहीं दी थी। 

काबुल एयरपोर्ट पर भारी भीड़ जमा हो गई है और अफरातफरी का माहौल है। तमाम विदेशी नागरिकों के अलावा बड़ी संख्या में ऐसे अफगान भी हैं, जो अपने ही वतन को छोड़कर निकल जाना चाहते हैं। यहां तक कि एयरपोर्ट पर फायरिंग भी हुई और इसमें 5 लोगों के मरने की खबर है।

अमेरिकी सैनिकों ने भी स्थिति को संभालने के लिए हवाई फायरिंग की। इससे पहले एयर इंडिया ने रविवार को अपनी फ्लाइट का संचालन किया था। इसमें भी उसे समस्या का सामना करना पड़ा था। दरअसल एयर इंडिया का AI 243 जब काबुल में लैंड करने वाला था, तभी तालिबान काबुल में आ धमके थे। 

उस वक्त में शहर में फायरिंग हो रही थी और अफगानी सेना तेजी से सरेंडर कर रही थी। ऐसे में भारतीय विमान एक घंटे तक आसमान में ही उड़ता रहा और फिर लैंड किया। यही नहीं इस वक्त एयर ट्रैफिक कंट्रोल स्टाफ भी फ्लाइट की लैंडिंग को गाइड के लिए मौजूद नहीं थी। 

सिर्फ सैन्य विमानों का ही अब बचा सहारा, निकलने को बेचैन हैं लोग

सरकारी अधिकारियों के मुताबिक अफगानिस्तान में अकेले राजनयिक और उनके सुरक्षाकर्मियों की संख्या ही 200 के करीब है, जो वहां से निकलने के लिए मदद का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ भारतीय नागरिक भी हैं। 

एक अधिकारी ने कहा कि स्टाफ को दूतावास से निकालकर एयरपोर्ट परिसर तक लाना चुनौतीपूर्ण है। बता दें कि नागरिक विमानों पर रोक के बाद अब लोगों के लिए अफगानिस्तान से बाहर निकलने का एकमात्र जरिया सैन्य विमान ही बचे हैं। दरअसल तालिबानी लड़ाकें अफगानिस्तान की सीमाओं पर भी डटे हैं। ऐसे में किसी और देश के रास्ते निकलना भी बेहद रिस्की है।