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भारतीय रेलवे ने बिहार के कटिहार से गुवाहाटी (Katihar to Guwahati train) तक करीब साढ़े छह सौ किलोमीटर रेलमार्ग को पूर्ण विद्युतीकृत कर दिया है और इससे पूर्वोत्तर के इस महत्वपूर्ण यात्रा की अवधि में दो घंटे तक की कमी आएगी तथा पटरियों पर अधिक ट्रेनें चलाने की गुंजाइश बनेगी।
भारतीय रेलवे (Indian railway) के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि कटिहार से गुवाहाटी तक पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के कुल 649 रूट किलोमीटर (1294 ट्रैक किलोमीटर) का विद्युतीकरण कार्य पूरा हो गया है। रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) उत्तरी सीमांत परिक्षेत्र द्वारा 7 अक्टूबर से 9 अक्टूबर, 2021 तक अंतिम चरण का परीक्षण किया और इसे उच्चगति की यात्री गाड़ियों एवं भारी मालगा़ड़ियों के परिचालन के उपयुक्त पाया। प्रवक्ता के अनुसार कटिहार से गुवाहाटी (Katihar to Guwahati train) तक रेलवे विद्युतीकरण से हाईस्पीड डीजल की खपत में करीब 3400 किलोलीटर की कमी आएगी, जिससे तीन सौ करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी। रेलमार्ग के पूर्ण विद्युतीकृत होने के बाद न्यू जलपाईगुड़ी, न्यू कूचबिहार में गाड़ियों में इंजन बदलने की जरूरत नहीं होगी और गाड़ियां अधिक गति से चल सकेंगी।
इस प्रकार से गुवाहाटी से कटिहार/मालदा टाउन के बीच चलने का समय 2 घंटे तक कम होने की संभावना है। लाइन क्षमता में भी 10-15 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी, जिससे अधिक ट्रेनें चलायी जा सकेंगी। विद्युतीकरण से भारी मालगाड़ियों को भी तेज गति से चलाया जा सकेगा। भारतीय रेल ने 2023-24 तक अपने संपूर्ण ब्रॉड गेज नेटवर्क को विद्युतीकृत करने की एक महत्वाकांक्षी योजना पर तेजी से काम कर रही है। इससे न केवल बेहतर ईंधन ऊर्जा के इस्तेमाल से थ्रूपुट में वृद्धि होगी, ईंधन व्यय में कमी आएगी तथा डीजल के मद में कीमती विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। उत्तर सीमांत रेलवे के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में बड़ी संख्या में अलग अलग गतिसीमा वाले खंडों, घुमावदार रास्तों, पुलों के साथ दुर्गम भू-भाग है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन से गाड़ी में एक से अधिक डीजल इंजनों की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी और पावरकारों को लगाने की जरूरत नहीं रहेगी, जिससे करोड़ों रुपए मूल्य के डीजल की खपत कम होगी। उच्च शक्ति वाले विद्युत इंजन ऊर्जा की जरूरत पूरा करने के साथ तेज गति बनाए रख सकते हैं। मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, नगालैंड और सिक्किम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अब अतिरिक्त राजधानी एक्सप्रेस रेलगाडियां चलाई जा सकेंगी। इसके अलावा ट्रैक के रखरखाव के लिए अधिक समय मिल सकेगा।
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