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चीन इस समय दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना (Largest Navy) बना रहा है, लेकिन अब भारत भी संसाधन जुटाने में लगा है। चीन के पास पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर्स पहले से हैं और दो और बना रहा है। लेकिन भारतीय नौसेना (Indian Navy) को नया स्वदेशी गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर (guided missile destroyer) मिल गया है। भारत का दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर अभी एक और समुद्री ट्रायल से गुजर रहा है।
यह खतरनाक डिस्ट्रॉयर उन चार 7,400 टन वजनी स्टेल्थ डिस्ट्रॉयर्स में से एक हैं जो मझगांव डॉक्स पर निर्मित किए जा रहे हैं। अब इनमें से पहला डिस्ट्रॉयर नौसेना को सौंपा गया है। अब जल्द ही कमिशनिंग के दौरान इसका नाम INS विशाखापट्नम (ins visakhapatnam) रखा जाएगा।
इसके बाद तीन और डिस्ट्रॉयर्स- मुरगांव, इम्फाल और सूरत अगले कुछ सालों में मिल जाएंगे। इन चारों जंगी जहाजों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और इजरायली बराक मिसाइलें लगी होंगी।
अमेरिकी नौसेना की बात की जाए तो उसके पास 11 'सुपर' एक लाख टन न्यूक्लियर पावर्ड कैरियर्स हैं। इनमें से हर एक पर 80-90 फाइटर्स और एयरक्राफ्ट रहते हैं। चीन भी खुद को 'एक महान देश' साबित करने के लिए 10 एयरक्राफ्ट कैरियर्स सेना में शामिल करना चाहता है।
भारत के पास INS विक्रमादित्य (ins vikramaditya) नाम का एक 44,500 टन वजनी कैरियर है। इसें नवंबर 2013 में रूस से 2.33 बिलियन डॉलर में लिया गया था। उसके डेक से ऑपरेट करने के लिए 2 बिलियन डॉलर देकर 45 मिग-29के विमान और खरीदे गए। अब 40,000 टन वजनी पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर के समुद्री ट्रायल्स का दूसरा राउंड चल रहा है। इसको अगले साल अगस्त में INS विक्रांत के नाम से नौसेना में शामिल किया जाएगा।
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