इंडियन आर्मी ने पाकिस्तान का तगड़ा झटका देते हुए सीमा पर मंडरा रहा कॉडकॉप्टर मार गिराया है। यह घटना जम्‍मू और कश्‍मीर की है। मारा गया कॉडकॉप्टर पाकिस्‍तानी सेना के स्‍पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) का है। यह कॉडकॉप्टर एलओसी पर 70 मीटर भारत की तरफ, केरन सेक्टर में गिरा। सीमा पार से हथियारों और गोला-बारूद को ड्रोन के जरिए गिराना एक नया तरीका है, जिसके जरिए सीमा पार से आतंकवादियों के हैंडलर्स उनके लिए ये सामान भेज रहे हैं। पाकिस्‍तान की ओर से अनमैन्‍ड एरियल वीकल्‍स (UAVs) का इस्‍तेमाल सर्विलांस और आतंकियों को हथियार पहुंचाने के लिए होता रहा है। इसके अलावा ड्रोन्‍स, कॉडकॉप्‍टर या हेक्साकॉप्‍टर के जरिए हमले का खतरा भी है।
एलओसी पर भारतीय सेना पहले से ही कॉडकॉप्‍टर्स के इस्‍तेमाल को लेकर अलर्ट थी। पीर पांजाल रेंज में ड्रोन के जरिए आतंकियों को हथियार सप्‍लाई किए जाने की बात सामने आई थी। पिछले महीने जम्‍मू और राजौरी से ड्रोन के जरिए भेजे गए हथियार बरामद किए गए थे। उससे पहले भी कई बार पाकिस्‍तानी ड्रोन्‍स भारतीय इलाके में देखे गए हैं। जून में बीएसएफ ने कठुआ में अंतरराष्‍ट्रीय सीमा के पास आधुनिक राइफल और सात ग्रेनेड्स से लदे एक पाकिस्‍तान डोन को मार गिराया था।
22 सितंबर को जम्मू जिले के अखनूर सीमा क्षेत्र पुलिस और सेना ने 2 एके-47 असॉल्ट राइफल, 3 एके मैगजीन, 90 राउंड की एके-47 राइफल और 1 स्टार पिस्टल बरामद किए थे। ये हथियार और गोला-बारूद आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल करने के लिए सीमा पार से ड्रोन से गिराए गए थे। उससे पहले 19 सितंबर को राजौरी जिले से सुरक्षाबलों ने लश्कर-ए-तैयबा के तीन संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था। उनके पास जो हथियार मिले थे, वे भी ड्रोन के जरिए भेजे गए थे।
एलओसी और अंदरूनी इलाकों में तैनात जवानों को ड्रोन हमले नाकाम करने की ट्रेनिंग मिल रही है। एक ट्रेनिंग मॉड्यूल उनके लिए जो पाकिस्तान से सटी एलओसी के पास तैनात होते हैं। इन जवानों को 14 दिनों के लिए ट्रेनिंग मिलती है। दूसरी ट्रेनिंग में अलग-अलग जगहों पर आतंकवाद का सामना करने के लिए तैनात जवानों के लिए होती है जो 28 दिन तक चलती है।
पाकिस्‍तान ने चीन से मध्यम-ऊंचाई वाले कै हान्ग-4 (CH-4) ड्रोन खरीदे हैं। सीएच-4 में वेरिएंट के आधार पर 1,200-1,300 किलोग्राम के बीच टेक-ऑफ मास की क्षमता है। यह भारी मात्रा में पेलोड भी लेकर जा सकता है। पाकिस्तान ने भारत में और अशांति पैदा करने के लिए जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर इन यूएवी को तैनात करने की योजना बनाई है।