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इंडियन एयर फोर्स को जल्द ही राफेल लड़ाकू विमानों की दूसरी खेप मिलने वाली है जिसमें 3 से 4 विमान शामिल हैं। ये राफेल फाइटर जेट्स नवंबर के पहले हफ्ते में हरियाणा स्थित एयर फोर्स के अंबाला बेस में पहुंचेंगे। 5 राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप 29 जुलाई को भारत आ चुकी है और उन्हें 10 सितंबर को औपचारिक तौर पर एयर फोर्स में शामिल किया गया था।
खबर है कि 3-4 राफेल विमानों की दूसरी खेप नवंबर के पहले हफ्ते तक फ्रांस से भारत आने वाली है। इसके लिए तैयारियां चल रही हैं।' इन तैयारियों का जायजा लेने के लिए और प्रक्रिया को तेज करने के लिए इंडियन एयर फोर्स पहले ही अपनी एक टीम को फ्रांस भेज चुकी है।
इन विमानों के शामिल होने के साथ ही एयर फोर्स में 8-9 राफेल लड़ाकू विमान शामिल हो जाएंगे जो मौजूदा तनाव के मद्देनजर कुछ ही दिनों में इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएंगे।' भारत के 5 राफेल लड़ाकू विमान पहले ही किसी भी वक्त इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इतना ही नहीं वे तनावग्रस्त लद्दाख को देखते हुए तैनात भी किए जा चुके हैं।
असिस्टेंट चीफ ऑफ एयर स्टाफ (प्रोजेक्ट्स) एयर वाइस मार्शल एन. तिवारी की अगुआई में एयर फोर्स की एक टीम अभी फ्रांस में है। यह टीम वहां राफेल लड़ाकू विमानों की दूसरी खेप को भारत भेजे जाने की तैयारियों, उन पर जरूरी युद्धक साजों-सामान को लगाने और चुनिंदा पायलटों की ट्रेनिंग की समीक्षा कर रही है। फ्रांस में मार्च 2021 तक भारतीय पायलट चरणबद्ध तरीके से राफेल उड़ाने की ट्रेनिंग लेंगे। सभी 36 राफेल लड़ाकू विमानों के मिल जाने के बाद एयर फोर्स इसके एक-एक स्क्वॉड्रन को हरियाणा के अंबाला और पश्चिम बंगाल के हाशिमरा एयर बेस पर तैनात करेगी।
पांच राफेल विमानों का पहला बेड़ा 29 जुलाई को भारत पहुंचा था। इससे करीब चार साल पहले भारत ने फ्रांस के साथ 59,000 करोड़ रुपये की लागत से, ऐसे 36 विमान खरीदने के लिए करार किया था। राफेल विमानों के पहले बैच को 10 सितंबर को वायु सेना में शामिल किया गया था। वायु सेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने पांच अक्टूबर को कहा था कि 2023 तक सभी 36 राफेल विमान वायु सेना में शामिल कर लिये जाएंगे। अभी तक भारत को 10 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति की जा चुकी है जिनमें से पांच विमानों को वायु सेना के पायलटों को प्रशिक्षण देने के लिए फ्रांस में रोका गया है।
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