भारत के पारंपरिक दोस्त के राष्ट्रपति के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (vladimir putin) खास हथियार लेकर आ रहे हैं। चीन के साथ डेढ़ साल से सीमा विवाद जारी है, लेकिन अब भारत के पास ऐसा खास हथियार आ रहा है जिसके बारे में सुनकर चीन और उसका दोस्त पाकिस्तान कांप उठे हैं। इस हथियार की बदौलत भारत अब चीन को उसी की भाषा में जवाब देगा।  मोदी सरकार 2022 की शुरुआत में लद्दाख और अरुणाचल क्षेत्र में एयर डिफेंस सिस्टम S-400 (air defence system s400) के कम से कम दो रेजिमेंट को शामिल करने जा रही है। इस कदम से चीन का चिढ़ गया है क्योंकि दोनों ही क्षेत्रों में भारत का ड्रैगन से सीमा विवाद जारी है।

S-400 सिस्टम के एडवांस्ड एलेमेंट्स भारत पहुंचने शुरू हो चुके हैं। 2022 की शुरुआत तक लद्दाख और अरुणाचल में दो S-400 सिस्टम चालू कर दिए जाएंगे। रूस में दो भारतीय मिलिट्री टीम S-400 सिस्टम को ऑपरेट करने के लिए तैयार हैं, जिसकी पहुंच दुश्मन के इलाके में करीब 400 किलोमीटर तक है।
रूस ने फिर से निभाई दोस्ती?

भारत और रूस (india and russia) के बीच करीबी रिश्ते की वजह से ही भारत को इतने कम वक्त में दो S-400 सिस्टम मिल रहे हैं। यही कारण है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 6 दिसंबर पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी के बावजूद भी रूस ने भारतीय टीम को S-400 सिस्टम की ट्रेनिंग दी है।

मई 2020 में पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने पैंगोंग त्सो, गलवान और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स के उत्तरी इलाके में भारतीय सेना को चौंकाने की कोशिश थी। यह साफ था कि चीन ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को बदलने की एकतरफा नाकाम कोशिश की थी। जून 2020 में दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई थी जिसमें दोनों देशों के जवानों की मौत हो गई थी।
चीन को उसी की भाषा में जवाब दे रहा भारत?

चीन (china) ने आक्रामक रवैए को देखते हुए भारतीय सेना ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चिनूक हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल करते हुए दौलेट बेग ओल्डी सेक्टर तक सैनिकों की तैनाती बढ़ाई। इसके बाद भारत ने T-90 टैंक भी बॉर्डर तक पहुंचाए। फिर लड़ाकू विमान और हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल लगाए। और अब S-400 एयर डिफेंस सिस्टम लगाकर भारत चीन को उसी की भाषा में जवाब दे रहा है।

इस सबके साथ ही दोनों देश मसलों को सुलझाने के लिए लगातार बातचीत भी कर रहे हैं लेकिन अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि दोनों देशों को शांतिपूर्ण तरीके से मसलों को सुलझाना ही एकमात्र रास्ता है।