ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (brahmos supersonic cruise missile) के विमान से दागे जाने वाले संस्करण का बुधवार को ओडिशा के तट स्थित चांदीपुर एकीकृत परीक्षण रेंज से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। आधिकारिक जानकारी के अनुसार परीक्षण के दौरान यह मिसाइल सुपरसोनिक लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमके-आई (Sukhoi 30 Mk-i) से प्रक्षेपित की गयी थी और अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल रही। 

रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के बयान के अनुसार ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल (brahmos cruise missile) के नये विकसित विमान संस्करण को प्रक्षेपित किया गया और यह पूर्व नियोजित मार्ग को पूरी तरह तय करते हुए अपने लक्ष्य को भेदने में कामयाब रही। यह प्रक्षेपण ब्रह्मोस मिसाइल (brahmos missile) के विकास में एक नया आयाम माना जा रहा है। इसे विमान से छोडऩे वाले संस्करण का विनिर्माण तेजी से किया जा सकेगा। आधिकारिक जानकारी के अनुसार इस मिसाइल इसमें रैमजेट इंजन लगा है, जो मिसाइल के ढांचे से पूरी तरह संयोजित है। मिसाइल का ढांचा धातु और गैर धातु से निर्मित है तथा इसमें रैमजेट फ्यूल टैंक और न्यूमेटिक फ्यूल सप्लाई सिस्टम शामिल हैं। 

इस परीक्षण के दौरान मिसाइल की संरचना की मजबूती और उसका कार्य दोनों बिलकुल ठीक पाया गया। ब्रह्मोस (brahmos missile) के विमान से दागे जाने वाले संस्करण का पिछला परीक्षण इसी साल जुलाई में किया गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने इस सफलता के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) (डीआरडीओ), ब्रह्मोस, भारतीय वायु सेना और इसके निर्माण में शामिल उद्योगों की सराहना की है। 

परीक्षण में शामिल टीमों को बधाई देते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने कहा कि डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं, शैक्षणिक संस्थानों, गुणवत्ता और प्रमाणन एजेंसियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) ने इस जटिल मिसाइल प्रणाली के विकास, परीक्षण एवं उत्पादन में भाग लिया। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का विकास और विनिर्माण रूस और भारत के संयुक्त उपक्रम के माध्यम से किया गया है ब्रह्मोस एक शक्तिशाली आक्रामक मिसाइल हथियार प्रणाली है जिसे पहले ही सैन्य बलों में शामिल किया जा चुका है।