संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के एक प्रस्ताव के मसौदे के खिलाफ भारत ने मतदान किया है। इस प्रस्ताव के मसौदे में यूएनएससी ने जलवायु परिवर्तन को वैश्विक सुरक्षा चुनौती से जोड़ने की बात कही थी। इस प्रस्ताव के विरोध में रूस ने भारत का साथ दिया है जिसके तहत उसने वीटो का इस्तेमाल किया जिससे यह निष्प्रभावी हो गया। वहीं, चीन इस वोटिंग से अनुपस्थित रहा। जबकि, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया।

इस प्रस्ताव के खिलाफ भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए ग्लासगो में हुए पर्यावरण सम्मेलन का जिक्र किया और कहा कि सम्मेलन में विकासशील देशों के हितों को ध्यान में रखने की बात कही गई थी लेकिन इस प्रस्ताव में यह बात नहीं है। भारत ने कहा कि न तो इस प्रस्ताव की जरूरत है और न ही ये स्वीकार्य है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने सवाल किया कि इस मसौदा संकल्प से हम क्या हासिल कर सकते हैं जो हम UNFCCC की प्रक्रिया से हासिल नहीं कर सकते? UNFCCC यानी यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेंट चेंज में 190 से अधिक देश सदस्य हैं जो हर साल के आखिर में जलवायु परिवर्तन पर दो सप्ताह की कॉन्फ्रेंस करते हैं।

UNSC में टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, 'पर्यावरण सुधार के लिए भारत की मंशा को लेकर किसी तरह की गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। जब पर्यावरण सुधार की बात आती है तो भारत सबसे आगे रहता है लेकिन इस विषय पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद सटीक जगह नहीं है। सही कहा जाए तो ये प्रस्ताव उचित मंच पर इसकी जिम्मेदारी से बचने के लिए और दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए है।

UN में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने तल्ख लहजे में कहा कि यह बड़ी विडंबना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अधिकतर सदस्य जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार उत्सर्जन में मुख्य भागीदार हैं। अगर सुरक्षा परिषद इसे अपने अधिकार में ले आता है तो कुछ देशों को जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर फैसले लेने की आजादी मिल जाएगी। इस मसौदे की न तो जरूरत है और न ही यह स्वीकार्य है।