नई दिल्ली। सिंधु जल संधि को लेकर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस सितंबर 1960 की सिंधु जल संधि में संशोधन के लिए जारी किया गया है. खबर है कि सिंधु जल के लिए संबंधित आयुक्तों के जरिए 25 जनवरी को IWT के अनुच्छेद XII (3) के अनुसार नोटिस जारी किया गया गया. इसमें बताया गया है कि पाकिस्तान की कार्रवाइयों ने IWT के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन पर विपरीत प्रभाव डाला है. इसके चलते भारत IWT के संशोधन के लिए एक उचित नोटिस जारी करने के लिए मजबूर हुआ है.

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पाकिस्तान किया था ये विरोध

खबर है कि साल 2015 में पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रातले हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स पर अपनी तकनीकी आपत्तियों की जांच हेतु एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए कहा था. इसके बाद 2016 में पाकिस्तान ने एकतरफा रूप से इस अनुरोध को वापस ले लिया और प्रस्तावित किया कि एक मध्यस्थता अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए.

पाकिस्तान ने किया उल्लंघन

यह भी खबर है कि पाकिस्तान की यह एकतरफा कार्रवाई है जो आईडब्ल्यूटी के अनुच्छेद IX का उल्लंघन है. इसके मुताबिक भारत ने इस मामले को एक तटस्थ विशेषज्ञ के पास भेजने के लिए एक अलग अनुरोध किया. इसके तहत एक ही प्रश्न पर एक साथ दो प्रक्रियाओं की शुरुआत और उनके असंगत या विरोधाभासी परिणामों की संभावना एक अभूतपूर्व और कानूनी रूप से अस्थिर स्थिति पैदा करती है, जो स्वयं IWT को खतरे में डालती है. इसी वजह से विश्व बैंक ने 2016 में इसे स्वीकार कर लिया और 2 समानांतर प्रक्रियाओं की शुरुआत को रोकने का फैसला किया. इसके साथ ही भारत और पाकिस्तान से इस स्थिति से सौहार्दपूर्ण तरीके से बाहर आने का अनुरोध किया.

पाक को गलती सुधारने का मौका मौका

बताया गया है कि भारत बार-बार पारस्परिक रूप से रास्ता खोजने के लिए प्रयास कर रहा है, परंतु पाकिस्तान ने 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की पांच बैठकों के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की. अब संशोधन के लिए नोटिस का उद्देश्य पाकिस्तान को IWT के भौतिक उल्लंघन को सुधारने के लिए 3 महीनों के अंदर अंतर-सरकारी वार्ता में प्रवेश करने का अवसर प्रदान करना है. यह प्रक्रिया पिछले 62 वर्षों में सीखे गए पाठों को शामिल करने के लिए IWT को भी अपडेट करेगी.

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ये है सिंधु जल संधि

भारत और पाकिस्तान ने 19 सितंबर, 1960 को सिंधु जल संथि की थी. इसके तहत सतलज, व्यास और रावी का पानी भारत को दिया गया. वहीं सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान काम में लेगा. इसमें विश्व बैंक भी एक सिग्नेटरी है. इस समझौते के तहत दोनों देशों के जल आयुक्तों को साल में 2 बार मुलाकात करनी होती है तथा परियोजना स्थलों एवं महत्त्वपूर्ण नदी हेडवर्क के तकनीकी दौरे का प्रबंध करना पड़ता है. लेकिन पाक ने पिछली 5 बैठकों के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा ही नहीं की.