कोरोना महामारी में कई लोगों ने अपनों को खोया है और कईयों ने अपनी जॉब खो दी है। कोरोना पॉजिटिव होने पर कई लोग ऐसे भी थे जो अवसाद में चले गए। इन सभी समस्याओँ से जूझ रहे कुछ लोगों ने तनाव में आकर आत्महत्या कर ली है। जिसके कारण से सरकार से उनके परिजनों को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल पा रही है। ऐसे लोगों को डेथ सर्टिफिकेट जारी करने और परिवार को सरकारी मदद दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आगे आया है।

 
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश किया है कि ऐसे मामलों में जहां कोरोना से परेशान होकर किसी ने आत्महत्या की हो तो उसे कोविड-19 से हुई मौत माना जाए। इसी के साथ उनके परिजनों को आर्थिक सहायता मुहिया करायी जाए। बता दें कि कोर्ट ने इस बारे में राज्यों को नए दिशानिर्देश जारी देने के लिए कहा है.।

जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि शपथपत्र में केंद्र के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कोविड से मरे लोगों को आसानी से प्रमाणपत्र देने के संबंध में दिशानिर्देश बनाए हैं। यह निर्देश राज्यों को भेजे गए हैं. दरअसल, केंद्र ने कोर्ट को जो शपथपत्र सौंपा है उसमें कहा गया है कि जहर खाने या अन्य दुर्घटना के कारण अगर मृत्यु होती है तो चाहे कोविड-19 उसमें एक कारण क्यों न हो, उसे कोविड से हुई मौत नहीं माना जाएगा।


कोर्ट ने कहा कि कोरोना के कारण आत्महत्या करने वाले की मौत को कोविड से हुई मौत नहीं मानना स्वीकार्य नहीं है। उन्हें भी कोविड से हुई मौत का प्रमाणपत्र मिलना चाहिए। सरकार ने कोर्ट में एफिडेविट फाइल कर बताया कि कोविड-19 पॉजिटिव होने के 30 दिन के भीतर किसी की मौत हॉस्पिटल या घर में हो जाती है तो डेथ सर्टिफिकेट पर मौत की वजह कोविड-19 ही बताई जाएगी।