भारत के लिए Corona काल में इंडियन एयरफोर्स के C-17 विमान लाइफ लाइन बने  हुए हैं और लोगों को सांसे पहुंचा रहे हैं। ये वही मालवाहक विमान है जो चीन से तकरार के वक्त लद्दाख में भारतीय सेना के अहम हथियार बने थे। लद्दाख में चीनी टकराव के वक्त सुर्खियां बटोरने वाले भारतीय वायुसेना के मालवाहक विमान सी-17 ग्लोबमास्टर एक बार फिर से अपने प्रयासों के चलते चर्चा के केंद्र में हैं। विदेशों से ऑक्सीजन, दवाएं और कोरोना राहत सामाग्रियों को लाने के लिए भारतीय वायुसेना के सी -17 ग्लोबमास्टर III बेड़े ताबड़तोड़ मेहनत कर रहे हैं। फिलहाल, सी-17 के आठ भारी-भरकम विमान नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्थानों पर उड़ान भर रहे हैं, जिससे ऑक्सीजन की भयावह कमी को दूर करने में मदद मिल रही है।

दरअसल, भारतीय वा​​युसेना​​ के परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर्स इन दिनों दुनिया भर से ऑक्सीजन टैंकरों को लाने और भारत के प्लांट्स में पहुंचाने में जुटे हैं। सी-17 एकमात्र विमान है, जिसका उपयोग वर्तमान में विदेशों से कंटेनरों को लाने और ले जाने लिए किया जा रहा है। बता दें कि लद्दाख में जब चीन के साथ सीमा विवाद अपने चरम पर था, तब भी मालवाहक विमान सी-17 ग्लोबमास्टर के जरिए सेना के लिए राशन और जरूरी सामान पहुंचाया गया था। इतना ही नहीं, सैन्य उपकरणों से लेकर सेना के जवानों को ट्रांसपोर्ट करने में भी इस विमान ने बड़ी भूमिका निभाई थी।

एक अधिकारी की मानें तो अब तक कोरोना से संबंधित कामों के लिए ही भारतीय वायुसेना द्वारा अमेरिका में बने सी -17 विमान का इस्तेमाल किया जा रहा है। C-17 लगभग 77 टन का पेलोड ले जा सकता है। पिछले साल लद्दाख में संवेदनशील क्षेत्र में चीन के सैन्य निर्माण का मुकाबला करने के लिए सैनिकों, टैंकों और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों को स्थानांतरित करने के लिए इस बेड़े का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया था। एक अधिकारी ने कहा कि सी-17 ने हमें चीनी एक्शन का मुंहतोड़ जवाब देने में मदद की थी और अब ये विमान कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई में भारतीय वायुसेना के योगदान का प्रमुख चेहरा बन गए हैं।

भारतीय वायुसेना के प्रवक्ता कमांडर आशीष मोगे ने कहा कि अब तक (4 मई) तक, भारतीय वायुसेना ने सिंगापुर, दुबई, बैंकॉक, फ्रैंकफर्ट और यूनाइटेड किंगडम के 54 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों और 900 ऑक्सीजन सिलेंडरों को लाया है। आशीष मोघे। एक सी -17 विमान ने मंगलवार को ब्रिज नॉर्टन से चेन्नई तक 37 टन के खाली ऑक्सीजन सिलेंडर को ट्रांसपोर्ट किया। बता दें कि कोरोना वायरस संकट के दौर में भारत में ऑक्सीजन और बेड को लेकर काफी हाहाकार मचा हुआ है।