पिछले डेढ़ साल से दुनिया के तमाम चिकित्सा शोधकर्ता कोरोना को खत्म करने के लिए कई तरह के शोध कर रहे हैं। कुछ हद तक सफलता मिली है लेकिन कोरोना को पूरे तरीके से खत्म नहीं किया गया है। कोरोना के खिलाफा देश में वैक्सीन भी आई गई है और दुनियाभर में कोरोना टीकाकरण किया जा रहा है। लेकिन कोरोना डेढ़ साल से अभी तक भी पूरे तरीके से खत्म नहीं किया गया है। वैज्ञानिक इस पर शोध पे शोध किए जा रहे हैं।


हाल ही में वैज्ञानिकों ने शोध के द्वारा पता लगाया है कि कि ‘हारमोन’ को नियंत्रित करने वाली एक दवा ‘सार्स कोव-2 (SARS CoV-2)’ से निपटने में कारगर हो सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया के अबरामसन कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं का यह नया प्रीक्लीनिकल अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि कैसे ‘एंटी एंड्रोजन’ दवा उन विशेष ‘रिसेप्टर’ को नष्ट कर देती हैं जिनकी मानव कोशिकाओं पर वायरल हमला करने में जरूरत होती है।


जानकारी के लिए बता दें कि हारमोन की दवाएं एंड्रोजन के स्तर को कम कर देती हैं जिससे कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को कम करने में मदद मिलती है। कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन का उपयोग कर ही कोशिकाओं को संक्रमित करता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि ACE2 और TMPRSS2 नाम के दो रिसेप्टर एंड्रोजन हारमोन द्वारा नियंत्रित होते हैं। प्रमाणिक इनहिबिटर कैमोस्टैट और दूसरी एंटी एंड्रोजन थेरेपी से इन रिसेप्टर को कुछ हद तक रोक कर वायरस का प्रवेश और शुरुआत में ही उसकी प्रतिकृतियां बनने से रोक देता है।